नई दिल्ली। एक कहावत है कि उगते सूरज को सब ही नमस्कार करते हैं और ढलते सूरज को… ये कहावत मौजूदा वक्त में देश की राजनीति में दशकों तक बड़ी अहमियत रखने वाली कांग्रेस पार्टी पर मौजूदा वक्त में बखूबी लागू हो रही है। दरअसल कांग्रेस को अभी सत्ता से बाहर हुए महज चार साल ही हुए हैं लेकिन जाने क्यों लोगों में उसके प्रति वो भाव और लगाव देखने को नही मिल रहा है।
गौरतलब है कि जिस तरह से एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक हाल के कुछ वक्त में कांग्रेस पार्टी को मिलने वाले चन्दे में भारी कमी आई है। हालात ये हैं कि पार्टी को मिला चन्दा हाल की नवगठित पार्टी ‘आप’ आम आदमी पार्टी और शिवसेना से भी कम रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस हफ्ते कांग्रेस के राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नेताओं के बीच हुई बैठक में पार्टी ने आनेवाले चुनावों में चंदे को लेकर जनता तक अपनी पहुंच बनाने का फैसला लिया है।
हालांकि इस बाबतपार्टी का मानना है कि ऐसा करके वह पुराने सिस्टम में वापस जाएगी, जब चुनावों के खर्चे के लिए जनता से फंडिंग लेना एक अहम हिस्सा माना जाता था। माना जा रहा है कि पार्टी को यह कदम कम कॉरपोरेट फंडिंग आने की वजह से उठाना पड़ रहा है। चुनाव और राजनीतिक दलों पर नजर रखने वाली संस्था एडीआर ने पिछले महीने पार्टी को मिलने वाले डोनेशन को लेकर रिपोर्ट जारी की थी।
इस रिपोर्ट के जरिए से 31 क्षेत्रीय दलों को 2016-17 में मिले कुछ डोनेशन की जानकारी दी गई थी। वहीं, इस साल कुछ समय पहले 2016-17 में राष्ट्रीय दलों को मिले डोनेशन की भी रिपोर्ट जारी की गई थी। जबकि इन रिपोर्ट्स की तुलना करने के बाद मालूम चलता है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से सत्ता खोने के बाद कांग्रेस को धन जुटाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। शिवसेना और आम आदमी पार्टी को साल 2015-16 और 2016-17 में डोनेशन को मिला दिया जाए तो फिर यह पैसा कांग्रेस को मिलने वाले डोनेशन से अधिक हो जाता है।
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