नई दिल्ली। दशकों तक देश में राज करने वाली कांग्रेस के लिए वक्त वैसे ही अच्छा नही चल रहा है वहीं आगामी 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले ही उसके मिशन को झटका लगना शुरू लग गया है क्यों कि पार्टी के बेहद अहम और पुराने नेता द्वारा पार्टी का हाथ और साथ छोड़ना इसका साफ संकेत है। इतना ही नही इस वरिष्ठ नेता का ये आरोप लगाना कि पार्टी में पुराने और सीनीयर नेताओं की अनदेखी की जा रही है मामले को और भी संगीन बनाने वाला है।
गौरतलब है कि मेघालय में कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए पांच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके डोनवा देथवेल्सन लपांग ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। लपांग ने पार्टी नेतृत्व पर ‘वरिष्ठ नेताओं’ को दरकिनार करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को गुरुवार रात भेजे इस्तीफे में लपांग ने कहा कि वह ‘अनिच्छा और भारी मन से इस्तीफा दे रहे हैं।’
वहीं इस्तीफा देने के दौरान मेघालय प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एमपीसीसी) के पूर्व प्रमुख रहे लपांग ने एआईसीसी पर वरिष्ठ एवं बुजुर्ग लोगों को दरकिनार करने की नीति पर चलने का आरोप लगाया। पत्र में उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि अब वरिष्ठ एवं बुजुर्ग लोगों की सेवा एवं योगदान पार्टी के लिए उपयोगी नहीं रह गई हैं।’ साथ ही उन्होंने इस्तीफे की प्रतियां मीडिया में उपलब्ध हैं। लपांग ने कहा, ‘इस प्रतिबंध ने मुझे निराश कर दिया और मुझे पार्टी से अलग होने पर मजबूर कर दिया।’
ज्ञात हो कि लपांग पहली बार 1992 में मेघालय के मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद वह 2003,2007 और 2009 में मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए। एआईसीसी के मेघालय के प्रभारी महासचिव लुइजिन्हो फलेरो ने कहा कि वह पिछले तीन साल से लपांग से नहीं मिले हैं। वहीं, एमपीसीसी के अध्यक्ष सेलिस्टिन लिंग्दोह ने लपांग के पार्टी छोड़ने के निर्णय पर आश्चर्य व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, ‘हम कोशिश करेंगे और देखेंगे अगर जल्द से जल्द मामले को निपटाया जा सके।’
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