नई दिल्ली। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को एक अहम मामले में कोर्ट से बखूबी राहत मिल गई। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को आज खारिज कर दिया है जिसमें मुलायम सिंह यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी। उक्त याचिका में कहा गया है कि 1990 में यादव ने राम मंदिर के लिए आंदोलन करने वाले कार सेवकों पर गोली चलाने के आदेश दिए थे।
गौरतलब है कि अयाेध्या में 2 नवंबर 1990 को शुक्रवार के दिन जब लाखाें कारसेवकाें की भीड़ बेकाबू हुई थी। तब उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने भीड़ काे तितर बितर करने के लिये गाेली चलाने का अादेश दिया था। इतिहास के पन्नाें में इसे अयाेध्या गाेलीकांड के नाम से जाना जाता है। इसमें कई कारसेवकाें की जान चली गई थी।
हालांकि वहीं मुलायम सिंह यादव ने फायरिंग का आदेश देने के 23 साल बाद कहा कि उन्हें अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश देने का दुख है। मुलायम ने कहा था कि उस समय मेरे सामने मंदिर-मस्जिद और देश की एकता का सवाल था। भाजपा वालों ने अयोध्या में 11 लाख की भीड़ कारसेवा के नाम पर लाकर खड़ी कर दी थी। देश की एकता के लिए उन्हें अयोध्या में गोली चलवानी पड़ी थी। अगर गोली नहीं चलती तो मुसलमानों का देश से विश्वास उठ जाता।
उन्होंने कहा गोली चलने का अफसोस है मगर देश की एकता के लिए 16 की जगह 30 जानें भी जातीं तो भी पीछे नहीं हटते। मुलायम ने एक कार्यक्रम में कहा था कि गोली चलवाने से उनकी बहुत आलोचना हुई। संसद में उनका विरोध भी हुआ। मगर यह कदम देश हित में था। देश की एकता के लिए मुझे गोली चलवानी पड़ी थी। अफसोस है लेकिन कोई और विकल्प नहीं था। समाजवाद का मतलब सबको साथ लेकर चलना है। भेदभाव नहीं होना चाहिए।
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