नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने केन्द्र सरकार को एक और मामले में नोटिस जारी करते हुए छह हफ्तों में जवाब देने का निर्देश दिया है। दरअसल सर्वोच्च अदालत ने कंप्यूटर प्रणालियों को इंटरसेप्ट करने और उन पर नजर रखने समेत उनके आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए 10 एजेंसियों को अनुमति देने वाले सरकारी नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र को सोमवार को नोटिस जारी करते हुए छह सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देने को कहा है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की 20 दिसंबर की अधिसूचना को चुनौती देते हुए न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के तहत केन्द्र की 10 जांच एवं जासूसी एजेंसियों को कंप्यूटरों को इंटरसेप्ट करने और उनके आंकड़ों का विश्लेषण करने का अधिकार प्राप्त हो गया है।
वहीं 3 जनवरी को याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा ने एजेंसियों को मिले कंप्यूटर की निगरानी के अधिकार वाली अधिसूचना को चुनौती दी थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष अपनी याचिका का उल्लेख करते हुए इसपर जल्द सुनवाई करने की गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा था कि उन्हें 2 जनवरी को यह जानकारी भी मिली है कि जजों के परिवार के लोगों के टेलिफोन और कंप्यूटरों पर निगरानी रखी जा रही है।
जिस पर शर्मा ने कहा था कि यह मामले बेहद गंभीर है, लिहाजा इस पर जल्द सुनवाई की जानी चाहिए। मालूम हो कि वकील शर्मा पर ही पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट फालतू जनहित याचिका दायर करने पर जुर्माना लगाया था। अपनी याचिका में उन्होंने 20 दिसंबर की इस सरकारी अधिसूचना को निरस्त करने की गुहार लगाई थी। साथ ही याचिका में यह भी कहा था कि इस अधिसूचना के आधार पर इन एजेंसियों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत जांच व आपराधिक कार्यवाही शुरू करने से रोका जाए।
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