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जब दोनों ने सारे समीकरण जोड़े-घटाये, तब जाकर शिवसेना और भाजपा फिर साथ आये

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नई दिल्ली। हाल के कुछ वक्त से जारी शिवसेना और भाजपा के बीच बढ़ती दूरियों में जब मजबूरियों का और आगे की दुश्वारियों का हिसाब-किताब गया जोड़ा, फिर क्या दोनों ही दलों ने अपना-अपना अड़ियल रूख छोड़ा। जिसके बाद दोनों के बीच बात बन गई और शिवसेना और भाजपा दोनों ही के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर आपसी सहमति बन गई।

गौरतलब है कि अगर सूत्रों की मानें तो  भाजपा के साथ गठबंधन करने के शिवसेना के फैसले में भाजपा प्रबंधकों ने अहम भूमिक निभाई। दरअसल, भाजपा प्रबंधकों ने शिवसेना को संकेत दिये कि अगर उसने अभी गठबंधन नहीं किया तो वह चुनाव के बाद भाजपा के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने की स्थिति में ”मोलभाव करने की शक्ति खो सकती है।

इसके साथ ही भाजपा ने शिवसेना की चिर प्रतिद्वंद्वी मनसे और राकांपा के बीच कई बैठकों तथा दोनों दलों के बीच पर्दे के पीछे संभावित समझौते का जिक्र किया। शिवसेना के साथ समझौते की बातचीत में शामिल रहे भाजपा नेता ने कहा कि उद्धव ठाकरे नीत पार्टी से यह भी कहा गया कि भाजपा के लिए मनसे और राकांपा राजनीतिक रूप से अछूत नहीं हैं।

उन्होंने कहा, ”वैसे कांग्रेस, मनसे के साथ किसी भी तरह के गठबंधन का विरोध करती है, लेकिन राकांपा और मनसे के पर्दे के पीछे गठबंधन करने के डर से शिवसेना नेतृत्व को अवगत कराया गया। भाजपा और उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने सोमवार को अपने तनावपूर्ण संबंधों को पीछे छोड़ते हुए लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ने की घोषणा की।

ज्ञात हो कि फिलहाल महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटों में से भाजपा 25 और शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं, इस साल प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में दोनों दल अन्य सहयोगी दलों को सीटें आवंटित करने के बाद बराबर बराबर सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगी।

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