नई दिल्ली! अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता को लेकर शुक्रवार 8 मार्च को फैसला सुनाएगा. इससे पहले कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि उसकी मंशा अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को मध्यस्थता के लिये भेजने के बारे में शीघ्र ही आदेश देने की है. न्यायालय ने संबंधित पक्षकारों से कहा है कि वे इस विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिये संभावित मध्यस्थों के नाम उपलब्ध करायें.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने संबंधित पक्षकारों से कहा कि वे बुधवार को ही संभावित नाम उपलब्ध करायें. पीठ ने कहा कि इस भूमि विवाद को मध्यस्थता के लिये भेजने या नहीं भेजने के बारे में इसके बाद ही आदेश दिया जायेगा.
सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुरक्षित रखे जाने पर संतों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए मामले को लटकाने वाला बताया है. जबकि मुस्लिम पक्षकारों ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला उन्हें मंजूर होगा. राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत कमलनयन दास ने कहा, ‘मुस्लिमों से कतई कोई समझौता नहीं हो सकता है. भगवान राम हिंदुओं के आराध्य हैं. उन पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है.
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