नई दिल्ली। कश्मीर के अंतरराष्ट्रीयकरण को लेकर भले ही नापाक पाकिस्तान जी जान से अपनी कोशिशों में जुटा हो लेकिन उसको तकरीबन हर तरफ से न सिर्फ मायूसी ही हाथ लग रही है बल्कि जब तब आतंक को बढ़ावा देने को लेकर सबकी लताड़ भी झेलनी पड़ रही है। इसकी ही बानगी है कि अब बुधवार को यूरोपीय यूनियन की संसद ने इस मुद्दे पर भारत का साथ दिया।
गौरतलब है कि संसद के ज्यादातर सदस्य भारत के साथ खड़े दिखाई दिए और पाकिस्तान को संदिग्ध देश करार दिया। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान मुंह की खा चुका है और इसके बावजूद कश्मीर मसले को किसी भी हाल में छोड़ने को तैयार नहीं है।
यूरोपीय संसद ने साफतौर पर कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का द्वीपक्षीय मामला है और दोनों देशों को इसपर सीधे बातचीत करनी चाहिए। जिससे कि इस मुद्दे का शांतिपूर्वक हल सुनिश्चित किया जा सके।
इसके साथ ही सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि इस मसले पर किसी तीसरे के हस्तक्षेप का कोई सवाल नहीं उठता है। संसद ने 11 सालों में पहली बार कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की और यह भी कहा कि उसकी कश्मीर में कोई भूमिका नहीं है। वहीं जबकि यूरोपीय यूनियन में पोलैंड के रिजार्ड जारनेकी ने कहा, ‘भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। हमें भारत के जम्मू-कश्मीर में होने वाले आतंकी हमलों पर ध्यान देने की जरूरत है।
इसके साथ ही तमाम सदस्यों ने साफ तौर पर ये भी कहा कि यह आतंकी चांद से नहीं आते हैं। यह पड़ोसी देश से आ रहे हैं। हमें भारत का समर्थन करना चाहिए।’ यूरोपीय यूनियन में इटली के फुलवायो मार्तसिलो ने कहा, ‘पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दी है। पाकिस्तान ऐसा स्थान है जहां आतंकवादी यूरोप में आतंकी हमले करने की योजना बनाने में सफल रहते हैं। यहां मानवाधिकारों का जबरदस्त उल्लंघन होता है।’
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