नई दिल्ली. ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों के लिए अच्छी खबर है. सरकार ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए ड्रॉफ्ट गाइडलाइंस जारी कर दिए हैं. सरकार इस नियम के जरिए कीमतों को प्रभावित करने वाले डीप डिस्काउंटिंग जैसे मामलों पर नजर रख सकेगी. वहीं दूसरी तरफ ई-कॉमर्स कंपनियों के फ्रॉड और मनमानी पर भी लगाम लग सकेगी. ट्रेडर्स बॉडी CAIT ने ड्राफ्ट नियमों का स्वागत करते हुए कहा है कि प्रस्तावित ढांचा ई-कॉमर्स कंपनियों को ग्राहकों के प्रति अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए मजबूर करेगा.
क्या है नई गाइडलाइंस- इस ड्रॉफ्ट गाइडलाइंस में कई सारी ऐसी व्यवस्था की गई है, जिससे कंजम्यूमर्स के हितों की सुरक्षा की जा सके, खासतौर से इसमें ग्रीवांस अधिकारी की नियुक्ति करनी पड़ेगी और इस ग्रीवांस अधिकारी की जानकारी कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर डालनी होगी.
साथ ही, ग्राहकों का पैसा 14 दिन के अंदर रिफंड करने की भी व्यवस्था की गई है.इसके अलावा कंपनियों को शिकायत दूर करने के लिए मैकनिजम बनाना होगा. इसके अलावा एक महीने के अंदर ग्राहकों को उनकी शिकायतों का निपटारा करना होगा.कंपनियों खुद प्रोडक्ट की कीमतों का निर्धारण नहीं कर सकेंगी. वहीं फेक रिव्यू जैसे मसलों को कंपनियों खुद अपने वेबसाइट पर नहीं कर पाएंगी.
प्रस्ताव ई-कॉमर्स कंपनियों को रिटर्न, रिफंड, एक्सचेंज, वारंटी / गारंटी, डिलीवरी / शिपमेंट, भुगतान के तरीके, शिकायत निवारण मैकेनिज्म से संबंधित विक्रेताओं के साथ कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों को जारी करने के लिए कहता है. ताकि ग्राहकों को आसानी से सभी जानकारी मिल सके. साथ ही, वो इन सभी सूचनाओं के आधार पर फैसाल लेने में सक्षम हो सके. ई-कॉमर्स कंपनियों के जो विक्रेता होंगे, उनकी जवाबदेही भी जरूरी होगी. ड्राफ्ट गाइडलाइंस पर सभी धारकों को 45 दिनों के अंदर यानी 16 दिसंबर तक अपनी राय देनी है. इसके बाद सरकार इसे नोटिफाई करके लागू कर सकेगी.
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