नई दिल्ली. कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए देश में 3 मई तक लॉकडाउन लागू किया गया है. लगभग सवा महीने तक लागू होने वाले इस लॉकडान से अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान पहुंचा है. लॉकडाउन के कारण देश अर्थव्यवस्था के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी हो रहीं है.
इन्हीं चुनौतियों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से चर्चा की. रघुराम राजन ने कहा कि इस वक्त गरीबों की सहायता करना जरूरी है, जिसके लिए सरकार के करीब 65 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे.
अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने कहा कि लॉकडाउन हमेशा के लिए जारी नहीं रखा जा सकता और अब आर्थिक गतिविधियों को खोलने की जरूरत है ताकि लोग अपना काम-धंधा फिर शुरू कर सकें. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम सावधानीपूर्वक उठाया जाना चाहिए.
राहुल गांधी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा में रघुराम राजन ने कहा कि भारत एक गरीब देश है और संसाधन कम हैं. इसलिए हम ज्यादा लंबे समय तक लोगों को बैठाकर खिला नहीं सकते. कोविड-19 से निपटने के लिए भारत जो भी कदम उठाएगा, उसके लिए बजट की एक सीमा है. हालांकि गांधी ने राजन से जब किसानों और प्रवासी श्रमिकों की समस्या पर सवाल किया तो राजन ने कहा कि यही वह क्षेत्र हैं जहां हमें अपनी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना का फायदा उठाना चाहिए. हमें संकट में पड़े किसानों और मजदूरों की मदद के लिए इस प्रणाली का उपयोग करना चाहिए.
इस पर आने वाले खर्च के संबंध में गांधी के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के दौरान देश में गरीबों की मदद के लिए 65,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. साथ ही उन्होंने कहा कि रोजगार के अच्छे अवसर निजी क्षेत्र में होने चाहिए, ताकि लोग सरकारी नौकरियों के मोह में ना बैठें. इसी संदर्भ में उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी आउटसोर्सिंग उद्योग का जिक्र किया कि किसी ने सोचा नहीं था कि यह इस तरह एक मजबूत उद्योग बनेगा. उन्होंने कहा कि यह आउट सोर्सिंग क्षेत्र इस लिए पनप और बढ़ सका क्योंकि उसमें सरकार का दखल नहीं था.
Disha News India Hindi News Portal