लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी के तमाम प्रयासों पर जब तब उनके सिपहसालारों की लापरवाही पानी फेरने का काम कर रही है। जिसकी बानगी है कि लोग अभी हाल ही में केजीएमयू के ट्रामा सेन्टर में कोरोना मरीज के मामले में लापरवाही के चलते बड़ी दिक्कत पेश आई थी। वहीं अब कुछ ऐसा ही सिविल अस्पताल में सामने आने से न सिर्फ हड़कम्प मच गया बल्कि एक बार फिर विकट संकट उत्पन्न हो गया है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र से आ रहे अयोध्या के 42 वर्षीय श्रमिक की मंगलवार रात विशेष ट्रेन में मौत के मामले में जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। अफसरों ने नियम दरकिनार कर कोरोना जांच रिपोर्ट आए बगैर आधी रात को शव का पोस्टमार्टम करा दिया। डॉक्टरों व स्टाफ ने रिपोर्ट के इंतजार की बात कही, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई और पोस्टमार्टम कर शव परिजन को सौंप दिया गया।वहीं, बुधवार दोपहर रिपोर्ट पॉजिटिव होने की रिपोर्ट आई तो अफसरों के होश उड़ गए।
बताया जाता है कि मंगलवार रात ट्रेन चारबाग पहुंची तो जीआरपी ने शव मर्च्युरी भेजा। पोस्टमार्टम हाउस के सूत्रों का कहना है कि डीएम व सीएमओ ने रात को पोस्टमार्टम करने के निर्देश दिए। जबकि अगर गौर से देख जाये तो ऐसे में सावधानी का बरता जाना बेहद जरूरी था और केजीएमयू की पैथोलॉजी में दो घंटे में कोरोना की जांच रिपोर्ट आ जाती है। इसके बाद भी अफसरों ने बिना रिपोर्ट का इंतजार किए देर रात शव का पोस्टमार्टम करवा दिया।
ज्ञात हो कि पोस्टमार्टम हाउस में शव के कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि के बाद बुधवार को 23 शवों के पोस्टमार्टम हुए, जिसमें कुछ सीतापुर और बाराबंकी के भी थे। इन सभी शवों को ले जाने वाले परिजन और उनके क्रियाकर्म में शामिल लोगों में भी संक्रमण की आशंका पैदा हो गई है। वहीं, बिना किसी एहतियात के ही शव परिवारीजनों को सुपुर्द कर दिया। इनके भी संक्रमित होने की आशंका प्रबल हो गई है। वहीं सीएमओ का कहना है कि सिविल अस्पताल व पोस्टमार्टम हाउस के स्टाफ को क्वारंटीन करा दिया गया है। अगले आदेश तक पोस्टमार्टम हाउस बंद रहेगा।
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