कोलकाता. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड 19) से लड़ाई के बीच पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में नर्सों के काम छोड़कर अपने गृहराज्य लौट जाने से यह राज्य अब एक बड़े संकट में घिरता नजर आ रहा है.
प्राप्त रिपोर्टों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में विभिन्न अस्पतालों में सेवारत मणिपुर की कुल 185 नर्सों ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है और अपने गृहराज्य लौट भी गई हैं. रिपोर्ट से यह भी पता चल रहा है कि अन्य पूवोर्त्तर राज्यों और ओडिशा में भी काफी संख्या में नर्सें नौकरी छोड़ सकती है. बहरहाल इतनी तादाद में नर्सों के इस्तीफे के वास्तविक कारणों का अभी पता नहीं चल सका है.
इस बीच कुछ वर्गों से नर्सों के इस्तीफों के मामले में केंद्र से हस्तक्षेप करने की मांग किये जाने की खबरें भी आ रही हैं. पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस से अब तक 2461 लोगों के संक्रमित होने के मामले सामने आए हैं और 225 लोगों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है जबकि 829 लोग भी ठीक हुए है.
पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण से हुई मौतों के आंकड़ों में विरोधाभास को लेकर उपजे विवादों के बीच राज्य सरकार ने 12 मई को एक बड़े प्रशासनिक फेरबदल के तहत प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव विवेक कुमार को पद से हटाकर उन्हें पयार्वरण विभाग में स्थानांतरित कर दिया था.
राज्य सरकार ने इसे हालांकि नियमित स्थानांतरण की प्रक्रिया बताया है, वहीं राजनीतिक हलकों में इस घटनाक्रम को केंद्र और राज्य की ओर से कोरोना वायरस के संक्रमण से मरने वालों की संख्या के आकलन में विसंगति के परिणाम के रूप में देखा जा रहा है.
राज्य की ओर से उपलब्ध कराए गए मौतों के कारणों के वगीर्करण विवरण में कोरोना के कारण मौत तथा कोरोना से मौत लेकिन अन्य बीमारियां इसकी वजह का उल्लेख किया गया जबकि केंद्र ने ऐसा कोई वर्गीकरण नहीं किया और सभी कोरोना संक्रमितों की मौत को कोरोना से मौत की श्रेणी में ही रखा है. राज्य के हालात के मद्देनजर विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिम बंगाल में नर्सों के नौकरी छोड़ने से स्थितियां और जटिल होंगी.
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