त्रिपुरा. त्रिपुरा में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए शुक्रवार शाम को चुनाव प्रचार थम गया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने त्रिपुरा में जनसभा की जबकि एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से बीजेपी को मतदान क रने का आह्वान किया. 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं जिसमें त्रिपुरा में 18 फरवरी यानी रविवार को मतदान होने हैं जबकि नगालैंड और मेघालय में 27 फरवरी को मतदान होगा. इनमें मतगणना 3 मार्च को की जाएगी. तीनों ही राज्यों में 60-60 सदस्यीय विधानसभा है.
माणिक सरकार के नेतृत्व में त्रिपुरा में पिछले 2 दशक से माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की सरकार है और केंद्र में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी पूरी कोशिश में है कि पूर्वोत्तर भारत में असम के बाद कुछ अन्य राज्यों में भगवा सरकार सत्ता में आ जाए. इस बार राज्य में सत्तारुढ़ की मुख्य लड़ाई बीजेपी से है. त्रिपुरा ने केरल (93.91 प्रतिशत) को पीछे छोड़कर 94.65 फीसदी साक्षरता दर हासिल की है.
चुनाव की खास बात यह है कि 1998 से मणिक सरकार की अगुवाई में वाम दल सत्ता में है जबकि बीजेपी ने तब से लेकर अब तक हुए 4 विधानसभा चुनावों में अपना खाता भी नहीं खोल सकी है. मोदी की पार्टी पर राज्य में खाता खोलने के साथ-साथ सत्ता तक पहुंचने के लिए उसे पूर्ण बहुमत की दरकार रहेगी.
अपने चार दशक के सियासी करियर में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने पिछले 20 साल में जितनी चुनावी लड़ाइयां लड़ी हैं, उसमें 2018 का चुनाव सबसे अलग है. उन्होंने खुद ही स्वीकार किया है कि इस बार 25 साल से सत्तारूढ़ वाम मोर्चे को चुनौती परंपरागत प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से नहीं, बल्कि बीजेपी से मिल रही है. यह वही बीजेपी है जो 2013 के चुनाव में 50 सीटों पर लड़ी और 49 में जमानत गंवा बैठी थी.
लेकिन पांच साल बाद उसी पार्टी ने चुनाव में ‘चलो पलटई’ (आओ बदलें) नारे के साथ अपनी महत्वाकांक्षाएं जाहिर कर दी और कड़ी चुनौती पेश की. 2013 विधानसभा चुनावों में बीजेपी को महज 1.54 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन दो साल बाद स्थानीय निकाय चुनावों में उसकी वोटों में हिस्सेदारी 14.7 फीसदी हो गई. 5 साल पहले पार्टी के सदस्यों की संख्या बमुश्किल हजार के आसपास थी लेकिन अब 2 लाख के पार हो गई है. राज्य की कुल आबादी 36 लाख के करीब है.
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