नई दिल्ली. दाऊद इब्राहिम पर 27 साल से जारी ना-नुकुर के बाद पाकिस्तान ने आखिरकार अपने मुल्क में उसकी मौजूदगी की बात कबूल कर ली है. पाकिस्तान ने शनिवार को 88 आतंकियों की लिस्ट जारी की. इसमें 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के मास्टरमाइंड और मोस्ट वॉन्टेड आतंकी दाऊद इब्राहिम का भी नाम है. बड़ी बात यह कि इस लिस्ट में दाऊद के नाम के साथ यह भी बताया गया है कि वह 14 पासपोर्ट रखता है और कराची में उसके तीन घर हैं.
दाऊद 1993 के मुंबई बम धमाकों के बाद पाकिस्तान भाग गया था. इन धमाकों में 257 की जान चली गई थी और 1400 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे. इसके बाद दाऊद के पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों में होने की खबरें आती रहीं, लेकिन पाक ने उसकी मौजूदगी के बारे में खुलकर कभी नहीं कबूला.
पाकिस्तान के दस्तावेज में दाऊद के इन 14 पासपोर्ट का जिक्र
30 जुलाई 1975 को बॉम्बे से जारी पासपोर्ट K560098
13 नवंबर 1978 को बॉम्बे से जारी पासपोर्ट M110522
30 जुलाई 1979 को बॉम्बे से जारी पासपोर्ट P537849
26 नवंबर 1981 को बॉम्बे से जारी पासपोर्ट R841697
3 अक्टूबर 1983 को बॉम्बे से जारी पासपोर्ट V57865
4 जून 1985 को बॉम्बे से जारी पासपोर्ट A-333602
26 जुलाई 1985 को बॉम्बे से जारी पासपोर्ट A501801
18 अगस्त 1985 को दुबई से जारी पासपोर्ट A717288
2 सितंबर 1989 को जेद्दाह में भारतीय दूतवास से जारी पासपोर्ट F823692
12 अगस्त 1991 को रावलपिंडी से जारी पाकिस्तानी पासपोर्ट G866537
जुलाई 1996 को कराची से जारी पाकिस्तानी पासपोर्ट C-267185
जुलाई 2001 में रावलपिंडी से जारी पाकिस्तानी पासपोर्ट H-123259
रावलपिंडी से जारी पाकिस्तानी पासपोर्ट G-869537
एक और पासपोर्ट KC-285901
पाकिस्तान के दस्तावेज में दाऊद के तीन एड्रेस का जिक्र
व्हाइट हाउस, सऊदी मस्जिद के पास, कराची
हाउस नंबर 37, 30th स्ट्रीट – डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी, कराची
पलटियाल बंगलो, नूरबाद हिल एरिया, कराची
पाकिस्तान ने अचानक ऐसा क्यों किया?
सवाल यह उठता है कि आखिर 27 साल बाद ऐसा क्या हो गया कि पाकिस्तान ने दाऊद की इतनी सारी डिटेल दुनिया के सामने जाहिर कर दी. इसकी वजह है.
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की अक्टूबर में होने वाली मीटिंग. यह टास्क फोर्स दुनियाभर में मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग नेटवर्क पर नजर रखती है.
पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में
दुनियाभर के देश इस टास्क फोर्स की सिफारिश को मानते हैं. पाकिस्तान के सामने दिक्कत यह है कि आतंकियों से निपटने की अपनी खराब नीति के कारण वह 2018 से इस टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट में है. एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में हाेना यानी दुनियाभर से आर्थिक मदद मिलने में परेशानी. पाकिस्तान को उम्मीद है कि आतंकियों के नाम बताकर अगर वह उनके खिलाफ कदम उठाता है तो वह ग्रे लिस्ट से बाहर आ सकता है. टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को 27 पॉइंट का डिमांड लेटर दिया था. सितंबर तक यह सभी शर्तें पूरी की जानी हैं. अगर पाकिस्तान ने शर्तें नहीं मानीं तो वह ब्लैक लिस्ट हो सकता है.
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