जयपुर. राजस्थान में गुर्जर आरक्षण को लेकर आंदोलन की सुगबुगाहट फिर से होने लगी है. पिछली बार गुर्जर आरक्षण के लिए लोगों ने पटरियों पर बैठकर आंदोलन किया था. तब समझौते के तहत तैयार हुआ यह वही समझौता पत्र है, जिसमें राज्य सरकार ने गुर्जर सहित पांच जातियों रैबारी, रायका, गाडिय़ा लुहार और बंजारा जातियों को पांच फीसद आरक्षण भी दिया, लेकिन केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना यह सपना अधूरा रह गया.
राजस्थान सरकार जब इस मांग को पूरा नहीं कर पायी तो अब फिर गुर्जर समाज के लोगों ने फिर से आंदोलन का ऐलान कर दिया है. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने राज्य सरकार पर समाज के साथ हुए समझौते का पालन नहीं करने का आरोप लगाते हुए 17 अक्तूबर को मलारना डूंगर में एक बार फिर से महापंचायत बुलाने का ऐलान कर दिया है, जिसमें आंदोलनों का एलान किया जाएगा.
यह वही गुर्जर बाहुल्य मलारना डूंगर का इलाका है, जहां पर आंदोलन से पहले पहपंचायत बुलाकर सड़कों व पटरियों पर बैठा जाता है. इस बार फिर से महापंचायत का एलान हो चूका है और कर्नल किरोड़ी बैंसला की माने तो सरकार सब जानती है कि गुर्जर क्या चाहते हैं, ऐसे में अब सरकार के साथ वार्ता नहीं की जाएगा. किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा कि सरकार जानती है की हमें क्या चाहिए.
उधर जिला परिषद और स्थानीय निकाय चुनाव से ठीक पहले गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अल्टीमेटम ने राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. पिछली बार विश्वेन्द्र सिंह ने बातचीत की कमान संभाली थी, लेकिन इस बार वे गहलोत मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिए गए हैं तो समझाने की जिम्मेदारी खेल मंत्री अशोक चांदना को दी गयी है. इस बार गुर्जर समाज में भी फिलहाल तो दो फाड़ ही नजऱ आ रहे हैं, जहां हिम्मत सिंह ने अपना अलग गुट बना लिया है वहीं कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने प्रेस वार्ता में एडवोकेट शैलेंद्र सिंह को भी नहीं बुलाया. ऐसा माना जा रहा है कि बैंसला हिम्मत सिंह गुर्जर की तरह एडवोकेट शैलेंद्र सिंह से भी किनारा करके गुर्जर आरक्षण की कमान अब पूरी तरह से अपने बेटे विजय बैंसला को देने के मूड में हैं.
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