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यूपी उपचुनाव में हार के बाद नए जातीय समीकरण पर दांव लगाने की तैयारी में बसपा

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बसपा सुप्रीमो मायावती यूपी विधानसभा उप चुनाव में मिली करारी हार और मिशन 2022 को देखते हुए संगठन को नए सिरे से दुरुस्त करने में जुट गई हैं. पार्टी से दलितों के साथ पिछड़ों को जोड़ने की दिशा में काम शुरू कर दिया है. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर राजभर समाज के व्यक्ति को बैठकर यह साफ संकेत दे दिया है कि वह वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में इसी जातीय समीकरण के आधार पर मैदान में उतरेंगी.

बसपा सुप्रीमो ने एनआरसी और अनुच्छेद 370 के मामले में भाजपा की खिलाफत करते हुए मुस्लमानों को साधने की कोशिश की. इसके लिए मुस्लिम समाज के तीन नेताओं मुनकाद अली, समशुद्दीन राइन और कुंवर दानिश अली को आगे बढ़ाया गया. मुनकाद अली को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर यह संदेश दिया गया कि बसपा इस समाज की हितैषी है. विधानसभा की सात सीटों पर उप चुनाव में दो सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारा गया. इन सबके बावजूद अपेक्षाकृत यह समाज बसपा के साथ जुड़ता हुआ नहीं दिखा.

बसपा सुप्रीमो विधानसभा उप चुनाव में मिली हार की इन दिनों दिल्ली में समीक्षा कर रही हैं. समीक्षा के बाद ही बसपा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर पिछड़े वर्ग के नेता को बैठाया गया है. इसके पहले बसपा में पिछड़े वर्ग के रामअचल राजभर और आरएस कुशवाहा प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं.

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