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यूपी के 56 जिलों में 851 करोड़ की सड़क परियोजनाओं की सीएम योगी ने दी सौगात, बोले- पंचायतें बनें आत्मनिर्भर

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लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को उत्तर प्रदेश की जनता को सड़कों की सौगात दी. लखनऊ में अपने सरकारी आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में सीएम योगी ने 851 करोड़ की लागत से 56 जिलों की 2500 से ज्यादा सड़कों को शिलान्यास व लोकार्पण किया.

इनमें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 204 करोड़ से 748 मार्गों और पंचायती राज विभाग के माध्यम से 647 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली 1,825 सड़के हैं. इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पंचायतों से आत्मनिर्भर बनने का आह्वान करते हुए कहा कि जब पंचायतें आत्मनिर्भर होंगी तभी प्रदेश और देश भी आगे बढ़ेगा.

वर्चुअल कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विकास के लिए सड़कों का जाल जरूरी है. सोच भी विकसित करनी होगी. उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत को जिस उद्देश्य के साथ पैसा दिया जाता है अगर संस्थाएं उसका सदुपयोग करें तो विकास और रोजगार की संभावनाएं बढ़ सकती हैं.

सीएम ने कहा कि ग्राम प्रधान केवल सरकार के पैसे पर ही निर्भर न रहें, बल्कि अपनी पंचायत की आय बढ़ाने पर भी जोर दें. क्योंकि अगर पंचायतें स्वावलम्बी बनेंगी तभी गांव का हर व्यक्ति स्वावलम्बी बन सकता है. जनप्रतिनिधियों को नसीहत देते हुए सीएम योगी ने कहा कि कुछ आप लोग कुछ ऐसा करिए, जिसके लिए आप कह सकें कि यह मेरे कार्यकाल का बेहतर काम है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पंचायतीराज व्यवस्था को एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) से जुडऩा पड़ेगा. क्योंकि ओडीओपी किसी न किसी गांव से ही निकलता है. गोरखपुर का टेरा कोटा, लखनऊ की चिकनकारी, अमरोहा की ढोलक, पीलीभीत की बांसुरी एक गांव से निकली है. ऐसे में हमारी पंचायतों की जिम्मेदारी नहीं बनती है कि हम अपने उत्पादों को प्रमोट करें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब पंचायती राज व्यवस्था ओडीओपी से जुड़ेगी तो ही विकास के नये आयाम गढ़े जा सकेंगे.

दूसरे प्रदेश के सरपंच का दिया उदाहरण

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूसरे प्रदेश के एक सरपंच का उदाहरण देते हुए कहा कि मैंने उनसे पूछा कि आपके पंचायत को कितना पैसा मिलता है, तो सरपंच ने बताया कि हमें पैसे की जरूरत नहीं है. क्योंकि हमारा गांव हाईवे से जुड़ा है. हमारी ग्राम पंचायत की जितनी भूमि थी, उसे हमने किसी को कब्जा नहीं करने दिया. तालाब को गंदा नहीं होने दिया. हम हर वर्ष लगभग पांच से सात करोड़ केवल तालाब से कमा लेते हैं. हम इसी पैसे से गांव के कार्य और गरीबों की सहायता में भी करते हैं. हमारा ग्राम पंचायत एक आत्मनिर्भर गांव है.

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