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छल से नहीं गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ हो रहा है काम : पीएम मोदी

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वाराणसी. कृषि कानूनो के विरोध में दिल्ली की सीमाओ पर किसान आंदोलन के लिये परोक्ष रूप से कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल करने वाले आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने की साजिश रच रहे है हालांकि उनकी सच्चाई देश के सामने आ रही है.

सबको पता है कि अब छल से नहीं बल्कि गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम हो रहा है. अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे मोदी ने सोमवार को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 के हण्डिया-राजा तालाब खण्ड के 6-लेन चौड़ीकरण कार्य को लोकार्पित करने के बाद कहा कि नए कृषि सुधारों से किसानों को नए विकल्प और नए कानूनी संरक्षण दिए गए हैं.

पहले मण्डी के बाहर हुए लेन-देन ही गैर-कानूनी थे. अब छोटा किसान भी, मण्डी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है. किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे का शिकार होने से बचाने के लिए कानूनी संरक्षण भी दिया गया है.  कांग्रेस का नाम लिये बगैर उन्होने कहा कि सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं. नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है, तो कुछ सवाल भी स्वाभाविक ही है.

ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में यह जीवन्त परम्परा रही है लेकिन बीते कुछ समय से हम देख रहे हैं कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है. अपप्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है, लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है. जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है. कृषि सुधारों के मामले में भी यही हो रहा है. यह वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि एमएसपी तो घोषित होता था लेकिन एमएसपी पर खरीद बहुत कम की जाती थी. सालों तक एमएसपी को लेकर छल किया गया. किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्जमाफी के पैकेज घोषित किए जाते थे, लेकिन छोटे और सीमान्त किसानों तक यह पहुंचते ही नहीं थे. यानि कर्जमाफी को लेकर भी छल किया गया. किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं. लेकिन वो खुद मानते थे कि एक रुपए में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते थे.

यानि योजनाओं के नाम पर छल. जब इतिहास छल का रहा हो, तब दो बातें स्वाभाविक हैं. पहली ये कि किसान अगर सरकारों की बातों से कई बार आशंकित रहता है तो उसके पीछे दशकों का इतिहास है. दूसरी ये कि जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया, उनके लिए ये झूठ फैलाना मजबूरी बन चुका है कि जो पहले होता था, वही अब भी होने वाला है. उन्होने कहा कि जब इस सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड देखेंगे, तो सच अपने आप सामने आ जाएगा. हमने कहा था कि हम यूरिया की कालाबाजारी रोकेंगे और किसान को पर्याप्त यूरिया देंगे. बीते छह साल में यूरिया की कमी नहीं होने दी. यहां तक कि लॉकडाउन तक में जब हर गतिविधि बन्द थी, तब भी दिक्कत नहीं आने दी गई.

हमने वादा किया था कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुकूल लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देंगे. यह वादा सिर्फ कागजों पर ही पूरा नहीं किया गया, बल्कि किसानों के बैंक खाते तक पहुंचाया है. मोदी ने कहा कि दशकों का छलावा किसानों को आशंकित करता है. लेकिन अब छल से नहीं गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम किया जा रहा है. आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई लगातार देश के सामने आ रही है.

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आज जिन किसानों को कृषि सुधारों पर कुछ शंकाएं हैं, वो भी भविष्य में इन कृषि सुधारों का लाभ उठाकर, अपनी आय बढ़ाएंगे. उन्होने कहा कि सिर्फ दाल की ही बात करें तो वर्ष 2014 से पहले के पांच सालों में लगभग साढ़े 600 करोड़ रुपए की ही दाल किसान से खरीदी गईं. लेकिन इसके बाद के पांच सालों में हमने लगभग 49 हजार करोड़ रुपए की दालें खरीदी हैं, यानि लगभग 75 गुना बढ़ोतरी हुयी.

इसी तरह वर्ष 2014 से पहले के पांच सालों में पहले की सरकार ने दो लाख करोड़ रुपए का धान खरीदा था. लेकिन इसके बाद के पांच सालों में एमएसपी के रूप में पांच लाख करोड़ रुपए की धान खरीद किसानों से की गई है. यानि लगभग ढाई गुना ज्यादा पैसा किसान के पास पहुंचा है. वर्ष 2014 से पहले के पांच सालों में गेहूं की खरीद पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए के आसपास ही किसानों को मिला. वहीं हमारे पांच सालों में तीन लाख करोड़ रुपए गेहूं किसानों को मिल चुका है, यानि लगभग दोगुना.

केन्द्र सरकार मण्डियों को आधुनिक बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. अगर मण्डियों और एमएसपी को ही हटाना था, तो इनको ताकत देने, इन पर इतना निवेश ही क्यों करते. यही जो पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर सवाल उठाते थे. अफवाह फैलाते थे कि चुनाव को देखते हुए यह पैसा दिया जा रहा है और चुनाव के बाद यही पैसा ब्याज सहित वापस देना पड़ेगा. एक राज्य की सरकार, अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते आज भी किसानों को इस योजना का लाभ नहीं लेने दे रही है. देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधी मदद दी जा रही है.

अब तक लगभग एक लाख करोड़ रुपए किसानों तक पहुंच भी चुका है. उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में काशी के सुन्दरीकरण के साथ-साथ यहां की कनेक्टिविटी के लिए किए गए कार्यों का लाभ सभी देख रहे हैं. नए हाई-वे, पुल-फ्लाईओवर के निर्माण के साथ-साथ, ट्रैफिक जाम की समस्या के समाधान के लिए मार्गों के चौड़ीकरण आदि का जितना कार्य बनारस तथा उसके आस-पास अभी हो रहा है, उतना आजादी के बाद कभी नहीं हुआ.

प्रधानमंत्री ने कहा कि अवस्थापना विकास के कार्यों से गरीबों, छोटे उद्यमियों, मध्य वर्ग के लोगों को लाभ मिलता है. अनेक लोगों को रोजगार प्राप्त होता है. यह परियोजनाएं श्रमिकों के रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की टीम द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर कार्यों में अभूतपूर्व तेजी लायी गई है. आज उत्तर प्रदेश की पहचान एक्सप्रेस प्रदेश के रूप में सशक्त हो रही है.

यूपी में कनेक्टिविटी के हजारों करोड़ रुपए के पांच मेगा प्रोजेक्ट्स पर एक साथ काम चल रहा है. आज पूर्वांचल हो, बुंदेलखंड हो, पश्चिमी उत्तर प्रदेश हो, हर कोने को एक्सप्रेसवे से जोड़ा जा रहा है.  देश के दो बड़े और आधुनिक डिफेंस कॉरिडोर में से एक हमारे उत्तर प्रदेश में ही बन रहा है. आधुनिक कनेक्टिविटी के विस्तार से किसानों और खेती को लाभ मिलता है. गांवों में आधुनिक सड़कों, आधुनिक चलते-फिरते कोल्ड स्टोरेज तथा किसान रेल से किसानों को नया बाजार मिल रहा है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी के सुन्दरीकरण के साथ बेहतर कनेक्टिविटी पर भी कार्य हो रहा है. रेल तथा रोड कनेक्टिविटी एवं हवाई मार्ग को सुधारा जा रहा है. पिछले छह साल से काशी को कई परियोजनाएं मिल रही हैं. बनारस वासियों की दिक्कतें कम हों, उनका जीवन आसान हो, हम इस ओर कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट को जोड़ने वाली सड़कों के विकास कार्य से काशी की नई पहचान बनी है. वाराणसी सहित पूर्वांचल क्षेत्र में बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ है. इसका लाभ पूरे क्षेत्र को मिलेगा.

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