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बीयर की कीमतों में होती है फिक्सिंग, 11 साल से ज्यादा दाम चुका रहे हैं पीने वाले

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नई दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय बीयर कंपनियों Carlsberg, SABMiller और भारतीय कंपनी United Breweries के बीच गोलबंदी कर भारत में 11 साल तक बीयर कीमतों के मामले में मनमाना करने का खुलासा हुआ है. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की एक रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आयी है. 

एक खबर के मुताबिक इन कंपनियों के टॉप अधिकारियों ने कारोबार के लिहाज से संवेदनशील जानकारी को साझा किया और आपसी गठजोड़ से 11 साल तक देश में बीयर की कीमतों को फिक्स किया. रॉयटर्स ने दावा किया है कि उसने सीसीआई की रिपोर्ट को देखा है. हालांकि अभी इस पर सीसीआई का कोई आदेश नहीं आया है और सीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी इस पर कोई निर्णय लेंगे. 

रिपोट के अनुसार साल 2007 से 2018 के बीच यह गोलबंदी की गयी. सीसीआई की 248 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ब्रूअर्स ने मिलजुल कर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया और उन्हें यह बात अच्छी तरह से पता थी कि उनके इस सामूहिक प्रयास से प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन होता है.’

88 फीसदी हिस्सेदारी 

सीसीआई ने 2018 में इन तीन बीयर कंपनियों के ठिकानों पर छापा मारा था और जांच शुरू की थी. इस जांच में इन कंपनियों पर उंगली उठाई गई है. भारत के करीब 52 हजार करोड़ रुपये के बीयर बाजार में इनकी हिस्सेदारी 88 फीसदी है. 

लग सकता है बड़ा जुर्माना 

सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट को मार्च में ड्राफ्ट किया गया था. अभी सीसीआई के सीनियर मेंबर इस पर विचार करेंगे और कंपनियों पर 25 करोड़ डॉलर से अधिक जुर्माना लगाया जा सकता है. 

गोलबंदी का खेल 

इन कंपनियों के अधिकारियों के बीच बातचीत, वॉट्सऐप मैसेजेज और ई-मेल को सीसीआई की रिपोर्ट में शामिल किया गया है. इनसे पता चलता है कि इन कंपनियों आपसी तालमेल से कई राज्यों में कीमतें बढ़ाने के लिए रणनीति बनाई. इन कंपनियों ने All India Brewers Association  (AIBA) को कॉमन प्लेटफॉर्म की तरह इस्तेमाल किया और आपसी गठजोड़ से कीमतें तय की. फिर AIBA ने कीमतें बढ़ाने के लिए इन कंपनियों की तरफ से लॉबिंग.

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