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महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर बीजेपी का प्रदर्शन, नागपुर में देवेंद्र फडणवीस पुलिस हिरासत में

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मुंबई. महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग को लेकर शनिवार को भाजपा ने पूरे राज्य में प्रदर्शन और चक्का जाम किया. इस दौरान, खबर यह भी है कि ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस को पुलिस ने नागपुर में गिरफ्तार कर लिया.

ओबीसी आरक्षण को लेकर प्रदेश की भाजपा इकाई ने महाराष्ट्र के एक 1000 जगहों पर विरोध-प्रदर्शन करने का ऐलान किया था. पार्टी के इस प्रदर्शन के दौरान विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने अपने गृह जिले नागपुर में विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जबकि विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दारेकर ठाणे के प्रदर्शन में शामिल हुए. इन प्रदर्शनों के कारण ठाणे को मुंबई से जोडऩे वाला सड़का मार्ग कुछ देर के लिए बाधित हो गया.

समाचार एजेंसियों की खबर के अनुसार, पुणे में प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाली पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा कि यदि भाजपा की मांग पूरी नहीं होती है, तो पार्टी भविष्य में और बड़े प्रदर्शन करेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को बरकरार रखने में नाकाम रही.

मुंडे ने कहा कि सरकार ओबीसी आरक्षण को हासिल करने में नाकाम रही, जो कि समुदाय के उत्थान के लिए आवश्यक है. उन्होंने आरोप लगाया कि जब ओबीसी आरक्षण संबंधी मामला अदालत में लंबित था, तब राज्य सरकार सहकारी क्षेत्र में चुनाव सहित विभिन्न चुनावों को टालती रही और अदालत ने जब आरक्षण समाप्त कर दिया, उसे बाद ही चुनावों की घोषणा की गई.

उन्होंने कहा कि हम मांग कर रहे हैं कि ओबीसी आरक्षण बहाल किया जाए और तब तक कोई चुनाव नहीं होना चाहिए. हम चाहते हैं कि सरकार चुनाव स्थगित करने की मांग को लेकर हमारे साथ मिलकर चुनाव आयोग से संपर्क करे. उन्होंने कहा कि अगर ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव होते हैं, तो हम और बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे. यह चक्का जाम सिर्फ एक ट्रेलर है.

बता दें कि भाजपा-शिवसेना सरकार ने वर्ष 2019 में स्थानीय निकायों में ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में संबंधित स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं ओबीसी के लिए आरक्षित कुल सीटों के 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता.

सर्वोच्च अदालत ने महाराष्ट्र जिला परिषद और पंचायत समिति अधिनियम 1961 के भाग 12 (2)(सी) की व्याख्या करते हुए ओबीसी के लिए संबंधित स्थानीय निकायों में सीटों का आरक्षण प्रदान करने की सीमा से संबंधित राज्य चुनाव आयोग द्वारा वर्ष 2018 और 2020 में जारी अधिसूचनाओं को रद्द कर दिया था. भाजपा का आरोप है कि एमवीए सरकार की निष्क्रियता के कारण यह आरक्षण रद्द हुआ.

राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) ने धुले, नंदुरबार, वाशिम, अकोला और नागपुर जिलों में उपचुनावों की घोषणा की है और जिला परिषद की 85 सीटें और 144 पंचायत समिति सीटों के लिए चुनाव होने जा रहे हैं. भाजपा ने शुक्रवार को मांग की कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का तत्काल रुख कर पांच जिलों में जिला परिषद उपचुनाव स्थगित करने का अनुरोध करे.

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