लखनऊ। प्रदेश में जहां एक तरफ अयोध्या का विश्व स्तरीय विकास किये जाने की कवायद जोर-शोर से जारी है वहीं इस सबके बीच अब प्रदेश सरकार ने ये तय किया है कि भावी पीढ़ियों को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ने के लिए राम वन गमन मार्ग का संवर्धन महत्वपूर्ण है। इससे वनों व प्राचीन स्थलों के पौराणिक स्वरूप एवं महत्ता को पुनर्स्थापित करने में सहायता मिलेगी। जिसके तहत प्रदेश के राम वन गमन मार्ग पर अलग-अलग स्थानों पर रामायणकालीन वृक्षों की वाटिका स्थापित करायी जाएगी। इस वर्ष सरकार ने व्यापक जनसहभागिता से 30 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य तय किया है। इसके अंतर्गत राम वन गमन मार्ग पर आस-पास की ग्राम सभाओं की भागीदारी से रामायणकालीन वृक्षों का रोपण कराने की योजना है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को यहां एक उच्च स्तरीय बैठक में वृक्षारोपण जन आन्दोलन-2021 के अंतर्गत कराए जाने वाले कार्यों की समीक्षा के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ियों को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ने के लिए राम वन गमन मार्ग का संवर्धन महत्वपूर्ण है। इससे वनों व प्राचीन स्थलों के पौराणिक स्वरूप एवं महत्ता को पुनर्स्थापित करने में सहायता मिलेगी। यहां मुख्यमंत्री को बताया गया कि वृक्षारोपण अभियान में महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में अयोध्या से चित्रकूट तक राम वन गमन मार्ग में मिलने वाली 88 वृक्ष प्रजातियों, वनों व वृक्षों के समूह का उल्लेख है।
ज्ञात हो कि रामायण व विभिन्न शास्त्रों में श्रृंगार वन, तमाल वन, रसाल वन, चंपक वन, चंदन वन, अशोक वन, कदंब वन, अनंग वन, विचित्र वन व विहार वन का उल्लेख मिलता है। इन 88 वृक्ष प्रजातियों में से कई विलुप्त हो चुकी हैं अथवा देश के अन्य भागों तक सीमित हो गई हैं। मसलन, रक्त चंदन के वृक्ष वर्तमान में दक्षिण भारत तक सीमित हैं।
वन विभाग राम वन गमन मार्ग में पड़ने वाले जिलों-अयोध्या, प्रयागराज च चित्रकूट में इन 88 वृक्ष प्रजातियों में से प्रदेश की मृदा, पर्यावरण व जलवायु के अनुकूल 30 का रोपण करा रहा है। ये वृक्ष प्रजातियां साल, आम, अशोक, कल्पवृक्ष/पारिजात, बरगद, महुआ, कटहल, असन, कदंब, अर्जुन, छितवन, जामुन, अनार, बेल, खैर, पलाश, बहेड़ा, पीपल, आंवला, नीम, शीशम, बांस, बेर, कचनार, चिलबिल, कनेर, सेमल, सिरस, अमलतास, बड़हल हैं।
Disha News India Hindi News Portal