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शीत सत्र के पहले दिन ही कृषि कानून रद्द करने के लिए बिल ला सकती है सरकार, बीजेपी ने जारी किया व्हिप

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नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी ने अपने राज्यसभा सांसदों के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी कर उन्हें 29 नवंबर को सदन में मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं. बताया जा रहा है कि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सरकार तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए विधेयक ला सकती है.

व्हिप में कहा गया है कि सोमवार को सदन में एक महत्वपूर्ण चर्चा और उसे पारित होने के लिए भाजपा सदस्यों को सरकार का समर्थन करने के लिए उपस्थित रहना होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले की घोषणा की थी. इसी पृष्ठभूमि में कुछ ही दिन बाद मंत्रिमंडल ने कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक, 2021 को मंजूरी दी है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को बुधवार को मंजूरी दे दी है. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने से संबंधित विधेयक पेश किये जाने के लिए सूचीबद्ध है. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया. उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के संबंध में औपचारिकताएं पूरी कर ली गईं.

दोनों सदनों में सत्र के दौरान पूरी की जाएगी प्रक्रिया

सूचना प्रसारण मंत्री ने बताया कि संसद के 29 नवंबर को शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा एवं राज्यसभा में इन कानूनों को निरस्त करने संबंधी प्रक्रिया पूरी की जाएगी. संसद का शीतकालीन सत्र 29 नंवबर से शुरू होकर 23 दिसंबर तक चलेगा. पिछले डेढ़ साल में हुए संसद सत्रों की तरह शीतकालीन सत्र भी कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आयोजित किया जाएगा. सत्र के दौरान करीब 20 बैठकें होंगी

गौरतलब है कि इन तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले करीब एक वर्ष से दिल्ली की सीमाओं पर लगभग 40 किसान संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. पिछले साल सितंबर महीने में केंद्र सरकार विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून तथा आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 लाई थी.

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