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आर्किटेक्चर नोबेल जीतने वाले पहले भारतीय बने बी.वी. दोशी

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नई दिल्ली. आर्किटेक्चर के प्रित्जकर प्राइज से भारतीय वास्तुविद बालकृष्ण दोशी को सम्मानित किया जाएगा. आर्किटेक्चर के नोबेल के नाम से ख्यात इस पुरस्कार के विजेता की घोषणा बुधवार को की गई. दोशी को प्रित्जकर प्राइज से सम्मानित किए जाने की घोषणा के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर बधाई दी है.

90 वर्षीय दोशी उन लोगों जीवित आर्किटेक्ट्स में से एक हैं जिन्होंने ली कार्बूजियर के साथ काम किया है. दोशी ने टिकाऊ वास्तुकला और सस्ते आवास के निर्माण द्वारा अपने काम को प्रतिष्ठित किया और आधुनिकतावादी डिजाइन को भारत लेकर आए जो पारंपरिकता में निहित है. दोशी यह पुरस्कार पाने वाले 45वें प्रित्जकर विजेता और भारत के पहले व्यक्ति हैं. पुरस्कार लेने के लिए दोशी मई में टोरंटो जाएंगे और वहां एक लेक्चर भी देंगे.

प्रित्जकर ज्यूरी ने अपने बयान में कहा, ‘बालकृष्ण दोशी ने हमेशा ऐसा आर्किटेक्ट बनाया है जो गंभीर, गैर आकर्षक और ट्रेंड्स को फॉलो नहीं करते हैं. साथ ही दोशी ने अपने काम के जरिए वास्तुकला के सर्वोच्च सम्मान के उद्देश्यों को लगातार प्रदर्शित किया है.’ बयान के मुताबिक ‘बालकृष्ण दोशी लगातार दर्शाते हैं कि सभी अच्छी वास्तुकला और शहरी नियोजन के उद्देश्यों में न केवल ढांचे को एकजुट करना चाहिए बल्कि उन्हें जलवायु, साइट, तकनीक और शिल्प को भी ध्यान में रखना चाहिए, साथ ही गहरी समझ और व्यापक अर्थों में संदर्भ की सराहना भी होनी चाहिए.’

मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई करने वाले दोशी ने वरिष्ठ आर्किटेक्ट ली कार्बूजियर के साथ पेरिस में साल 1950 में काम किया था. उसके बाद वह भारत के प्रोजेक्ट्स का संचालन करने के लिए वापस देश लौट आए.

उन्होंने साल 1955 में अपने स्टूडियो वास्तु-शिल्प की स्थापना की और लुईस काह्न और अनंत राजे के साथ मिलकर अहमदाबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के कैंपस को डिजायन किया. दोशी ने आईआईएम बंगलुरु और लखनऊ, द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, टैगोर मेमोरियल हॉल, अहमदाबाद का द इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी के अलावा भारत भर में कई कैंपस सहित इमारतों को डिजाइन किया है, जिसमें कुछ कम लागत वाली परियोजनाएं भी शामिल हैं.

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