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लड़कियों की शादी की उम्र 21 कर 22 का चुनाव जीतने की तैयारी में बीजेपी

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने की तैयारी में है. विपक्ष लगातार इसका विरोध कर रहा है.कल यानी मंगलवार को लोकसभा में इस संशोधन विधेयक को पेश करने के बाद इसे संसदीय स्थायी समिति को करीब से जांच के लिए भेज दिया गया, जिसकी मांग विपक्ष भी कर रहा था. लेकिन राजनीतिक हलकों को लगता है कि आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार रणनीति बना रही है. इसे चुनावों से ठीक पहले बजट सत्र के दौरान फिर से सदन में बहस के लिए लाया जा सकता है.

विपक्ष के विरोध और मांगों के बीच सरकार ने ही लोकसभा में विधेयक को संसदीय पैनल को भेजने का प्रस्ताव दिया. चौंकाने वाली बात तो यह है कि लोकसभा में सरकार के पास बहुमत है. इसके बावजूद सरकार ने संसदीय पैनल के पास भेजने का प्रस्ताव दिया. इसका मतलब यह है कि सत्तारूढ़ पक्ष दबाव में नहीं, बल्कि अपने मुताबिक काम कर रहा था.

आपको बता दें कि सरकार ने ठीक इसी दिन विपक्ष की मांगों के खिलाफ राज्यसभा में आधार को मतदाता सूची से जोड़ने के लिए एक और महत्वपूर्ण विधेयक को ध्वनि मत से पास कराया. यह बताता है कि महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने से संबंधित विधेयक संसदीय पैनल को भेजना सत्तारूढ़ भाजपा के अनुकूल है. सरकार इस मुद्दे को फिलहाल जिंदा रखना चाहती है जो संभवत: ट्रिपल तलाक मुद्दे की भरपाई कर सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को यूपी में अपनी चुनावी रैली में इस मुद्दे का जिक्र भी किया. पीएम के भाषण के बाद किसी को भी इस मुद्दे पर संदेह नहीं रह गया है. भाजपा का इरादा महिलाओं के बड़े वर्ग को चुनाव में आकर्षित करने का हो सकता है.

पीएम ने अपने संबोधन में कहा, “हर कोई देख रहा है कि इस बिल से किसे परेशानी हो रही है.” हालांकि, उन्होंने किसी विपक्षी दल या मुस्लिम समूहों का जिक्र नहीं किया. लेकिन तीन दिन पहले, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकी ने आलोचकों को “तालिबान मानसिकता” के साथ “पेशेवर प्रदर्शनकारी” करार दिया. उन्होंने कहा कि ये लोग उन्हीं वर्गों से आते हैं जो तत्काल तीन तलाक को खत्म करने का विरोध किया था.

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