काठमांडू. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया क्योंकि सरकार के सोशल मीडिया प्रतिबंध पर हिंसक विरोध प्रदर्शन तेज हो गए थे. उनके सहयोगी प्रकाश सिलवाल ने इसकी पुष्टि की. नेपाल सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध हटाने की घोषणा के बावजूद, दूसरे दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी रहे. प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को 20 लोगों की मौत और 250 से ज़्यादा घायलों के बाद ओली और सरकार को हटाने की मांग की. प्रदर्शनकारी संसद में घुस गये और आगजनी की है.
अपने इस्तीफे से कुछ घंटे पहले ही, ओली ने प्रदर्शनकारियों से शांति और संयम बनाए रखने की अपील की थी और बातचीत के ज़रिए समाधान निकालने का आह्वान किया था. उन्होंने संकट के समाधान के लिए शाम 6 बजे एक सर्वदलीय बैठक की भी घोषणा की थी. ओली ने अपने बयान में कहा, किसी भी प्रकार की हिंसा राष्ट्रहित में नहीं है. हमें शांतिपूर्ण बातचीत और चर्चा अपनानी चाहिए.
पद छोड़ने की सलाह
सेना के सूत्रों के अनुसार, ओली ने पहले नेपाल के सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल से बात की थी और बिगड़ते हालात को नियंत्रित करने और प्रधानमंत्री आवास से अपने सुरक्षित बाहर निकलने के लिए सैन्य सहायता मांगी थी. सेना प्रमुख ने कथित तौर पर उन्हें पद छोडऩे की सलाह देते हुए कहा था कि सेना तभी स्थिति को स्थिर कर सकती है जब वह सत्ता छोड़ दें.
सुरक्षा अभियान तेज
इस बीच, काठमांडू में सुरक्षा अभियान तेज हो गए. सरकारी अधिकारियों को त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक पहुंचाने के लिए भैसपति स्थित मंत्रिस्तरीय आवास से लगभग एक दर्जन हेलीकॉप्टर उड़ान भर रहे थे. प्रमुख मंत्रियों के परिवहन के लिए कम से कम पांच सैन्य हेलीकॉप्टर तैनात किए गए. बाद में, बढ़ते तनाव के बीच त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को बंद कर दिया गया और सभी उड़ानें रद्द कर दी गईं. प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया पर ड्रोन उड़ाकर, आतिशबाजी करके और विमानों में बाधा डालने के लिए लेजऱ लाइट का इस्तेमाल करके परिचालन बाधित करने का आह्वान किया.
चल रहा है जोरदार प्रदर्शन
प्रदर्शनकारियों ने वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं के घरों और कार्यालयों को भी निशाना बनाना जारी रखा. मंगलवार को उन्होंने नेपाल की संसद में आग लगा दी और प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति दोनों के निजी आवासों में तोडफ़ोड़ की.
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