लखनऊ के अमिटी यूनिवर्सिटी से सामने आया एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसने शैक्षणिक माहौल और छात्र आचरण पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. वीडियो में दिखाई देता है कि एक कार के भीतर दो छात्र अपने ही साथी छात्र को बार-बार थप्पड़ जड़ रहे हैं जबकि पीड़ित छात्र असहाय होकर इसे सहता हुआ नजर आता है. कुछ सेकंड का यह वीडियो जैसे ही इंटरनेट पर पहुंचा, लोगों का गुस्सा और चिंता दोनों सामने आने लगे.
वीडियो में जो दृश्य कैद हुआ है वह किसी भी शैक्षणिक संस्था के अनुशासन की तस्वीर को धूमिल कर देता है. कार की पिछली सीट पर बैठे छात्र द्वारा अपने साथी पर लगातार हाथ उठाना और पास बैठे दूसरे छात्र का इसमें शामिल होना न केवल हिंसक व्यवहार को दर्शाता है बल्कि यह भी दिखाता है कि युवा वर्ग में अनुशासन और आपसी सम्मान किस हद तक कमजोर पड़ रहा है. जिस छात्र पर हमला हुआ उसकी स्थिति वीडियो में बेहद लाचार नजर आती है, मानो वह विरोध करने की स्थिति में भी नहीं था.
इस घटना के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं. कई यूजर्स ने सवाल उठाए हैं कि क्या उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ाई करने आए विद्यार्थी इसी तरह का व्यवहार दिखाएंगे. कुछ ने इसे रैगिंग की आधुनिक शक्ल करार दिया तो कुछ ने कहा कि यह सिर्फ हिंसा है जिसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए. वीडियो पर कमेंट करते हुए एक यूज़र ने लिखा कि यह शिक्षा नहीं बल्कि गुंडागर्दी है और दोषियों पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए.
अमिटी यूनिवर्सिटी प्रशासन ने वीडियो वायरल होने के बाद मामले को संज्ञान में लिया है. प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, संबंधित छात्रों की पहचान कर ली गई है और आंतरिक जांच समिति गठित कर दी गई है. विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि इस तरह के कृत्य को बिल्कुल भी सहन नहीं किया जाएगा और दोषी छात्रों पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. प्रवक्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि पीड़ित छात्र को सुरक्षा और मानसिक सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा ताकि वह इस घटना से उबर सके.
लखनऊ पुलिस ने भी वीडियो सामने आने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है. सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने पीड़ित छात्र और उसके परिवार से संपर्क साधा है ताकि वे आगे की कानूनी कार्रवाई करना चाहें तो मदद मिल सके. हालांकि, अभी तक पीड़ित छात्र की ओर से कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है. पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि ऐसी घटनाओं को हल्के में नहीं लिया जा सकता क्योंकि यह सीधे तौर पर छात्र सुरक्षा और शैक्षणिक संस्थानों की साख से जुड़ा मामला है.
सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर बहस छिड़ गई है. एक ओर कुछ लोग इसे युवाओं की बिगड़ती मानसिकता का परिणाम बता रहे हैं तो दूसरी ओर कई लोगों ने इसे पारिवारिक और सामाजिक वातावरण की कमी से जोड़ा है. कुछ मनोवैज्ञानिकों ने भी टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह के व्यवहार की जड़ें बच्चों के पालन-पोषण और शिक्षा प्रणाली में छिपी हैं. जब छात्रों को अनुशासन और सहिष्णुता की सही शिक्षा नहीं मिलती तो वे अक्सर आक्रामकता और हिंसा की राह पकड़ लेते हैं.
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब देश भर में रैगिंग और हिंसा रोकने के लिए कई सख्त कानून और नियम लागू हैं. विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके परिसर में किसी भी तरह की हिंसा या छात्र उत्पीड़न न हो. इसके बावजूद इस तरह की घटनाओं का सामने आना यह बताता है कि नियमों के बावजूद निगरानी में गंभीर खामियां हैं. सवाल यह भी उठता है कि अगर यह घटना कार के भीतर हुई और वीडियो बनाकर वायरल किया गया तो छात्रों को इतनी हिम्मत कहां से मिली.
पीड़ित छात्र की हालत को लेकर भी लोगों में चिंता है. कई लोगों का मानना है कि सार्वजनिक रूप से बेइज्जती और पिटाई का यह वीडियो उसके आत्मसम्मान पर गहरा असर डाल सकता है. यही कारण है कि लोग विश्वविद्यालय प्रशासन से उम्मीद कर रहे हैं कि वे केवल दोषियों को सजा ही न दें बल्कि पीड़ित को मानसिक सहयोग भी उपलब्ध कराएं.
सोशल मीडिया पर एक बड़ी संख्या में लोगों ने इस घटना को बेहद शर्मनाक बताया है. ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #AmityLucknow और #StudentSafety जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं. कुछ लोगों ने वीडियो को रीट्वीट करते हुए लिखा कि अगर यही हाल है तो माता-पिता अपने बच्चों को इन विश्वविद्यालयों में भेजने से पहले सौ बार सोचेंगे.
यह मामला केवल एक छात्र की पिटाई का नहीं बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की गंभीरता पर सवाल उठाता है. क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था केवल किताबों तक सीमित रह गई है और क्या नैतिक शिक्षा पूरी तरह से गायब हो गई है. समाजशास्त्रियों का मानना है कि जब तक शिक्षा का मकसद केवल डिग्री हासिल करना रहेगा और उसमें मानवीय मूल्य नहीं जोड़े जाएंगे, तब तक ऐसी घटनाएं सामने आती रहेंगी.
इस घटना का एक पहलू यह भी है कि छात्रों ने हिंसा करने के साथ-साथ उसका वीडियो भी रिकॉर्ड किया और साझा किया. इसका सीधा मतलब यह है कि उन्हें अपने कृत्य पर शर्म नहीं बल्कि गर्व महसूस हुआ. यही मानसिकता सबसे ज्यादा चिंता का कारण है. किसी छात्र के साथ मजाक की आड़ में की गई हिंसा न केवल अपराध है बल्कि यह पूरे समाज के लिए खतरनाक संदेश भी देती है.
लखनऊ जैसे शैक्षणिक और सांस्कृतिक केंद्र में ऐसी घटना सामने आना वहां की छवि पर भी असर डालता है. अमिटी यूनिवर्सिटी जैसे निजी विश्वविद्यालय हमेशा अपने अनुशासन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करते हैं, लेकिन इस घटना ने उनकी सुरक्षा और निगरानी प्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है.
अंततः यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि शिक्षा का असली उद्देश्य क्या है. अगर विश्वविद्यालयों से निकलने वाले युवा हिंसा, अहंकार और अनुशासनहीनता के प्रतीक बन जाएं तो भविष्य कैसा होगा. लखनऊ में सामने आई यह घटना केवल एक छात्र की पीड़ा नहीं बल्कि पूरे समाज की चेतावनी है कि हमें अपने बच्चों को केवल पढ़ाना ही नहीं बल्कि उन्हें सही दिशा और संस्कार देना भी जरूरी है.
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