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दरिंदों को फांसी की तैयारी, PM आवास पर अहम बैठक जारी

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नई दिल्ली। देश में दरिंदो द्वारा लगातार जारी दरिंदगी और हाल की कुछ एक जघन्य रेप घटनाओं के चलते देश में आता जबर्दस्त उबाल तथा विदेशों तक में उठते सवाल वाकई काफी अहम और गंभीर बात है। वहीं इन घटनाओं पर उठती दोषियों को फांसी की मांग पर सरकार आज फैसला कर सकती है।

गौरतलब है कि बारह साल तक की बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को मौत की सजा देने के प्रावधान वाला अध्यादेश पर को आज हरी झंडी मिल सकती है। क्योंकि दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर इस वक्त केंद्रीय कैबिनेट की एक अहम बैठक जारी है। माना जा रहा है कि बैठक के दौरान पॉक्सो एक्ट में रेप के दोषियों को फांसी देने पर अध्यादेश लाया जा सकता है।

ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव और जम्मू कश्मीर के कठुआ में नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर देशभर में गुस्से के माहौल की पृष्ठभूमि में सरकार ‘बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम’ (पॉक्सो) में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने की योजना बना रही है।

सूत्रो के मुताबिक लाये जाने वाले इस प्रस्ताव के अनुसार 12 साल तक बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को भी मौत की सजा सुनाई जा सकती है। पॉक्सो कानून के प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है। न्यूनतम सजा 7 साल की जेल है। सरकार ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में सूचित किया कि वह दंडनीय कानून में संशोधन कर 12 साल या उससे छोटी उम्र की बच्चियों के साथ यौन अपराध के दोषियों को मौत की सजा के प्रावधान को शामिल करने पर विचार कर रही है। विधि मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि फिलहाल अध्यादेश सर्वश्रेष्ठ तरीका है।

बेहद अहम और काबिले गौर बात है कि कठुआ और उन्नाव गैंग रेप कांडों के बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी जांच बाधित करने वाले पुलिसवालों पर सख्त नजर आ रही है। उन्होंने साफ कहा है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में जांच को बाधित करने वालों या ऐसे अपराधों को अंजाम देने वालों के साथ सांठगांठ करने वाले पुलिस अधिकारियों पर राज्य सरकार सख्त कार्रवाई करें।

इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने इस तरह के मामलों की जांच निश्चित समय सीमा में पूरी करने की भी अपील की है। मेनका ने यौन अपराधों या बच्चों से यौन अपराधों से निपटने के लिए विशेष प्रकोष्ठ का गठन करने का भी सुझाव दिया है। उन्होंने राज्यों से यौन अपराधों के विभिन्न पहलुओं पर, खासतौर पर सबूत एकत्र करने और उनके संरक्षण से जुड़े पहलुओं पर अपनी-अपनी पुलिस को फिर से प्रशिक्षित करने का भी निर्देश दिया है।

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