Friday , April 26 2024
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मोदी का नायाब नुस्खा एक कांग्रेसी ने अपनाया, फिर PM के तौर पर उन्हें देश का सर्वोच्च नेता बताया

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डेस्क्।  सियासत से परे अगर बात की जाये तो ऐसा नही कि नरेन्द्र मोदी की सारी बातें निर्रथक होती हों उनकी बातों में काफी गूढ़ निहितार्थ भी होते हैं दिक्कत दरअसल ये है कि हम कभी भी किसी की बात पर अमल किये बिना ही अपने उपदेश देना शुरू कर देते हैं और उसकी बात को किनारे कर देते हैं। वहीं एक कट्टर कांग्रेसी युवक ने PM मोदी की बात को आजमाया तो उसे वाकई में उनका नुस्खा बहुत ही भाया तभी उसने उनको PM के तौर पर देश का सर्वोच्च नेता बताया।

गौरतलब है कि गुजरात के वडोदरा शहर में एनएसयूआई के सदस्‍य, कांग्रेस कार्यकर्ता और हिंदी में पोस्‍ट ग्रेज्‍युऐट नारायण भाई राजपूत ने पकौड़े का स्‍टाल शुरू किया है। इसका नाम उन्‍होंने श्रीराम दालवड़ा सेंटर रखा है। अब शहर में इसकी 35 स्‍थानों पर फ्रैंचाइजी खुल चुकी है।

उनका कहना है कि दरअसल उन्हें यह स्टॉल खोलने का विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस भाषण से आया जिसमें मोदी ने कहा था कि यदि कोई व्‍यक्ति पकौड़ा भी बेचता है और 200 रुपए रोज कमाता है तो यह भी रोजगार है। यह बेरोजगार होकर बैठने से अच्छा है।

उन्होंने कहा कि मैंने मोदी के भाषण के बाद इसे चुनौती के रूप में लिया। इसके बावजूद वो कहते हैं कि हालांकि मैं कट्टर कांग्रेसी हूं और अगले जन्‍म में भी कांग्रेसी होना चाहूंगा। नारायण का कहना है कि पीएम की सलाह के बाद मैंने सोचा कि मुझे पहल करना चाहिये। मैंने केवल 10 किलो मटेरियल के साथ पकौड़े का स्‍टाल खोला।

उन्होंने कहा कि अब नौबत ये है कि अब मैं 500 से 600 किलो मटेरियल के पकौड़े बेच देता हूं। वे शौक से कहते हैं कि मोदी जी एक प्रधानमंत्री के तौर पर देश के सर्वोच्‍च नेता हैं। वहीं स्टॉल का नाम श्रीराम रखने की वजह उन्‍होंने बताई कि राम नाम का पत्थर  पानी में तैर सकता है, राम का नाम लेकर अमित शाह, नरेंद्र मोदी देश चला सकते हैं तो स्टॉल भी राम के नाम अच्‍छा चल सकता है।

उल्लेखनीय है कि वर्तमान में वे दस रुपए में सौ ग्राम दाल पकौड़े बेचते हैं। स्‍टाल खोलने के दो महीने के भीतर ही यह मशहूर हो गया और ग्राहक उमड़ने लगे। चार घंटे में 300 किलो दाल वड़ा बेचते हैं। स्‍टाल सुबह 7 बजे से 11 बजे तक चलता है। शाम को भी इतना ही चलता है। पीएम की सलाह को चुनौती के रूप में लेकर इस कांग्रेसी कार्यकर्ता ने अपने जीवन का फायदा कर लिया जो कि कम अपेक्षित था।

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