लखनऊ। प्रदेश में अब तक हालांकि तमाम रहमदिल मुख्यमंत्री हुए लेकिन हाल-फिलहाल उन सब पर भारी मुख्यमंत्री योगी की दरियादिली रही है। क्योंकि हाल ही में आरटीआई के तहत मांगी गई एक जानकारी में ये बात सामने आई है कि असाध्य रोगों से कराहते लोगों और उनके परिजनों को मदद देने वाले मुख्यमंत्रियों में योगी आदित्यनाथ अव्वल साबित हुए हैं।
गौरतलब है कि जैसा कि उन्होंने मुख्यमंत्री राहत कोष से शुरुआती सवा साल के कार्यकाल में ही 15,716 लोगों को इलाज के लिए 223.31 करोड़ रुपए दिए हैं। उसके लिहाज से अगर उनकी दरियादिली ऐसी ही बरकरार रही तो पांच साल के कार्यकाल में वह 62 हजार बीमारों को 900 करोड़ रुपए की मदद दे देंगे।
हालांकि अखिलेश यादव ने पूरे कार्यकाल में कुल 42,508 बीमारों को इलाज के लिए 552.92 करोड़ रुपए दिए थे। योगी और अखिलेश के अलावा कोई भी मुख्यमंत्री बीमारों की मदद में अरब के आंकड़े तक नहीं पहुंचा है। दरअसल एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र द्वारा आरटीआई आवेदन में सन् 2000 से अब तक उप्र के मुख्यमंत्रियों द्वारा राहत कोष से गंभीर रोगियों को दी गई आर्थिक मदद का विवरण मांगा गया था। जिसके जवाब में मुख्यमंत्री कार्यालय के जनसूचना अधिकारी ने यह आंकड़े जारी किए हैं।
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री अपने राहत कोष से किसी भी गंभीर रोगी को इलाज में मदद दे सकते हैं। इसके लिए बीमार या उसके परिजनों को मुख्यमंत्री को इलाज के दस्तावेजों सहित आवेदन देना होता है। मुख्यमंत्री विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सा के लिए मदद देते हैं। यह मदद व्यक्ति के खाते में नहीं सीधे उपचार करने वाले सरकारी संस्थान के खाते में जाती है।
हालांकि सांसद और विधायक भी अपनी विकास निधियों से असाध्य रोगों से पीड़ित लोगों को इलाज के लिए पैसे दे सकते हैं। बशर्ते बीमार गरीबी रेखा से नीचे हो। गरीबों को कैंसर, हृदय रोग, गुर्दा रोग,अस्थि रोग और थैलेसीमिया के इलाज में मदद मिल सकती है। यह चिकित्सा सहायता भी सीधे अस्पताल के खाते में ही जाती है।
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