नई दिल्ली. कोरोना काल में सरकार अपने खर्चों में कटौती करने में लगी है. इसी सिलसिले में अब सरकार ने अब सरकारी प्रिंटिंग गतिविधियों को बंद करने का फैसला किया है. इसका मतलब है कि अब विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, सरकारी कंपनियों और बैंकों द्वारा फिजिकल फॉर्मेट में कैलेंडर, डायरी, शेड्यूलर और दूसरी सामग्री की प्रिंटिंग नहीं होगी. अब यह सामग्री डिजिटल फॉर्म में उपलब्ध होगी.
वित्त मंत्रालय ने आज एक बयान में कहा कि दुनिया तेजी से डिजिटल तरीकों को अपना रही है और भारत सरकार ने भी बेस्ट प्रैक्टिस को अपनाने का फैसला किया है. कॉफी टेबल बुक्स की प्रिंटिंग भी नहीं होगी और ई-बुक्स के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा. मंत्रालय ने कहा है कि सभी संबंधित विभागों को इन गतिविधियों के लिए डिजिटल और ऑनलाइन तरीकों को अपनाना चाहिए और इसके लिए नए तरीके खोजने का प्रयास करना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि कोरोना संकट के कारण देश की इकॉनमी बुरी तरह प्रभावित हुई है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की रेकॉर्ड गिरावट आई है. साथ ही सरकार का जीएसटी कलेक्शन भी अगस्त में पिछले साल की तुलना में 12 फीसदी कम रहा है. इस साल राजकोषीय घाटे के भी लक्ष्य से दोगुना रहने की आशंका है. यही वजह है कि सरकार अपने खर्चों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है.
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