नयी दिल्ली। सियासत बड़ी ही अजब चीज होती है इसमें बक कौन खास हो जाये किस पर कब विश्वास हो जाऐ और कब कौन आपका खास ही आपके लिए फांस हो जाये ये जान और समझ पाना न सिर्फ मुश्किल बल्कि काफी हद तक एक तरह से नामुमकिन ही कहा जायेगा। इसके तमाम उदाहरण्रा हें जो आम हैं। इसी क्रम में अब आप को ही देख लें कि अब क्या दौर आ गया है उनका विश्वास से ही अब विश्वास डगमगा गया है जिसके चलते आम आदमी पार्टी (आप) ने कुमार विश्वास को राजस्थान प्रभारी पद से हटा दिया है। अब उनकी जगह दीपक वाजपेयी को राजस्थान प्रभारी बनाया गया है।
इस बाबत प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी नेता आशुतोष ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने फैसला लिया है कि वह राजस्थान विधानसभा का चुनाव पूरी ताकत के साथ लड़ेगी। कुमार विश्वास के पास समय की कमी है। दीपक वाजपेयी को उनकी जगह सूबे का प्रभारी बनाया गया है. उन्होंने कहा कि वसुंधरा सरकार ने पिछले 4 सालों में राजस्थान को सदियों पीछे छोड़ दिया है. आज किसान पूरी तरह से नाराज हैं, बिजली के दाम लगभग 4 गुना बढ़ गये हैं। भ्रष्टाचार की तो कोई सीमा ही नहीं। इन सबके मद्देनजर आम आदमी पार्टी का मानना है कि राजस्थान को एक नए विकल्प की तलाश है।
आशुतोष ने कहा कि राजस्थान की बागडोर दीपक वाजपेयी को सौंपी गयी है ताकि वह वहीं रह कर संगठन को मजबूत बनाएं और चुनाव की स्ट्रेटेजी तैयार करें। वे वहां पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क करके कार्यक्रम की रूपरेखा बनाएं और कैंडिडेट की लिस्ट तैयार करें। गौर हो कि कुमार विश्वास और आम आदमी पार्टी में तनातनी चल रही थी।इतना ही नहीं, राज्यसभा चुनाव के समय भी कुमार विश्वास ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।
यदि आपको याद हो तो आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास से जब भी राज्यसभा के संबंध में सवाल किया गया, तो उन्होंने संकेतों में यह संदेश दे दिया कि वह राज्यसभा जाना चाहते हैं। पार्टी के अंदर कार्यकर्ता भी कुमार की वाककुशलता से अच्छी तरह परिचित थे।कुमार विश्वास के साथ दो और नामों की चर्चा थी। इनमें पार्टी के नेता संजय सिंह और आशुतोष का नाम शामिल था। लेकिन पार्टी ने इनमें से एक नाम आशुतोष से किनारा कर लिया और संजय सिंह के अलावा सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता को राज्यसभा भेजा।
पार्टी के इस रुख के बाद ट्विटर पर कुमार विश्वास की ओर से कविता के रुप में प्रतिक्रिया आयी है. जो इस प्रकार है… तुम निकले थे लेने “स्वराज”. सूरज की सुर्ख़ गवाही में, पर आज स्वयं टिमाटिमा रहे, जुगनू की नौकरशाही में, सब साथ लड़े,सब उत्सुक थे, तुमको आसन तक लाने में, कुछ सफल हुए “निर्वीय” तुम्हें!
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