इलाहाबाद। संगम नगरी इलाहाबाद में होने वाले अर्धकुंभ मेले में इस बार एक बेहद ही अद्भुत नजारा आऐगा पेश जब पांच दलित महिलाऐं त्यागकर अपने केश धारण कर लेंगी महामंडलेश्वर का भेष। इतना ही नही इसके साथ ही भारी संख्या में दलित महिलाऐं और पुरूष प्रसिद्ध जूना अखाड़े का हिस्सा बन जाऐंगे।
गौरतलब है कि इलाहाबाद में होने वाले अर्धकुंभ मेले में पहली बार 5 दलित महिलाओं को महामंडलेश्वर बनाया जाएगा। इसके अलावा 221 दलित महिलाएं और 300 दलित पुरुष संन्यास लेकर जूना अखाड़े में शामिल होंगे। ऐसा पहली बार होगा जब एक साथ इतनी बड़ी संख्या में दलित महिलाओं को संत बनाया जाएगा। बता दें कि महामंडलेश्वर अखाड़ा परंपरा का सबसे ऊंचा पद होता है।
हालांकि जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि का इस संबंध में कहना है कि अखाड़े में देशभर से करीब 75 लाख सदस्य शामिल हैं। कुंभ के दौरान 221 दलित महिलाएं भी संन्यास लेकर इसमें शामिल हो जाएंगी। इनमें से 5 को महामंडलेश्वर बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि राजतिलक समारोह में सदस्य वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच सिर मुंडवाकर अखाड़ा प्रमुख से दीक्षा स्वीकार करेंगे। इसके बाद संन्यासी अपना-अपना पिंड दान करेंगे।
इतना ही नही उनके अनुसार देश के अलग-अलग हिस्सों में जूना अखाड़ा के लाखों संत हैं। हिमाचल प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, कनार्टक, महाराष्ट्र और नेपाल में सभी वर्गों को मिलाकर लगभग सवा लाख महिला संत हैँ। इनमें से दलित और महादलित महिलाओं की संख्या पांच सौ के आसपास है. कुम्भ में दलित महिला संतों की संख्या में इजाफा हो जाएगा। जूना अखाड़े में बड़ी संख्या में दलित जाति के पुरुष और महिला संत पहले से हैं। इनमें से मात्र आठ को ही महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई है, जिनमें पांच पुरुष और तीन महिला महामंडलेश्वर हैँ।
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