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आप बना रहे हैं वाहन खरीदने का प्लान, तो अब जरूर दें इस बात का ध्यान

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नई दिल्ली। अगर आप जल्द ही वाहन खरीदने का बना रहे हैं प्लान तो कृपया जरूर दें इस बात पर बखूबी ध्यान क्यों कि आगामी 1 सितम्बर से आपको वाहन का रजिस्ट्रेशन कराते समय क्रमशः दो और पांच साल का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कराना जरूरी कर दिया गया है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीमा नियामक ने सभी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को कहा है कि वे पॉलिसी होल्डर्स को लॉन्ग टर्म थर्ड पार्टी बीमा दें। इसके तहत एक सितंबर से नए चार पहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराते समय तीन सालों के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य किया है। वहीं, दो पहिया वाहनों के लिए पांच साल तक के लिए थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य किया गया है।

इस नए आदेश के अनुसार अब जहां आपको प्राइवेट कारों में तीन साल के लिए 1000 सीसी तक की कार पर 5,286 रुपए, 1000-1500 सीसी तक की कार का प्रीमियम 9,534 रुपए और 1500 सीसी की कार के लिए 24,305 रुपए प्रीमियम देना होगा।

वहीं, पांच साल के लिए दो-पहिया का थर्ड पार्टी प्रीमियम भी तय हो गया है। 75 सीसी तक के वाहन के लिए 1045 रुपए, 75-150 सीसी के वाहन के लिए 3,285 रुपए, 150-350 सीसी तक के लिए 5453 रुपए और 350 सीसी से अधिक के वाहन के लिए 13034 रुपए प्रीमियम देना होगा।

ज्ञात हो कि इससे पहले 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चार पहिया और दो पहिया वाहनों के लिए थर्ड पार्टी बीमा को अनिवार्य किया जाना चाहिए। इससे सड़क दुर्घटना के पीड़ित मुआवजा पा सकेंगे। बीमा कंपनियां इसे मानवीय आधार पर देखें न कि कारोबारी निगाह से।

इसके साथ ही अदालत ने कहा कि हर साल सड़क दुर्घटनाओं में भारत में एक लाख लोग मारे जाते हैं। पूर्व न्यायाधीश जस्टिस केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि दो पहिया या चार पहिया वाहनों की बिक्री के समय एक साल की जगह क्रमशः पांच और तीन साल की अवधि के लिए थर्ड पार्टी बीमा को अनिवार्य किया जाना चाहिए।

अपनी रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि देश की सड़कों पर करीब 18 करोड़ वाहन चलते हैं। इनमें से केवल छह करोड़ के पास ही थर्ड पार्टी बीमा है। सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिलता है क्योंकि वाहनों के पास थर्ड पार्टी कवर नहीं होता है।

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