लखनऊ। आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए काफी हद तक अपनी कमर कस चुकी बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए कर्नाटक के निकाय चुनाव के परिणाम संजीवनी देने वाले साबित होंगे। क्योंकि एक बार फिर मायावती की कुशल रणनीति के चलते ही वहां बहुजन समाज पार्टी के 13 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। ज्ञात हो कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी बसपा ने एक सीट पर जीत दर्ज की है जिसे मंत्री भी बनाया गया है।
गौरतलब है कि कर्नाटक शहरी निकाय चुनाव में चौंकाने वाला प्रदर्शन करते हुए बसपा ने 13 सीटों पर अप्रत्याशित जीत हासिल की है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बसपा की ये जीत काफी अहम मानी जा रही है। खासतौर पर मायावती के लिए जो उत्तर प्रदेश से बाहर बसपा को सीट दिलाने की लगातार कोशिश कर रहीं थीं। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई है। 31 अगस्त को हुये शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ने कुल 2527 सीटों में से 946 सीटों पर जीत दर्ज की है।
हालांकि वहीं उत्तर प्रदेश में भी बसपा सुप्रीमों की तैयारियां बखूबी जारी हैं। जिसके तहत बसपा अब अपने परंपरागत वोटों पर पकड़ मजबूत करने के इरादे से दलित बाहुल्य इलाकों में बैठकें आयोजित करेगी। पार्टी सूत्रों ने बताया कि बसपा अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने पार्टी के पदाधिकारियों को प्रदेश में खासकर पश्चिमांचल के दलित बाहुल्य इलाकों में रूकने और बैठकें आयोजित करने के निर्देश दिये हैं। मायावती ने इस सिलसिले में खाका भी तैयार कर लिया है।
बताया जाता है कि उन्होंने अपने भरोसेमंद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रमेश कुशवाहा को इस संबंध में खास दिशा-निर्देश दिये हैं। सूत्रों ने बताया कि बसपा अध्यक्ष ने कुशवाहा से कहा है कि प्रत्येक मंडल मुख्यालय में कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय स्थापित कर सूचित करें कि वे दलित समुदाय के लोगों से घर घर जाकर संपर्क साधें एवं उनकी समस्याओं को सुनकर हल निकालने की कोशिश करें। मायावती ने कुशवाहा से यह भी कहा है कि दलित उत्पीड़न के मामलों को वे जोरशोर से उठायें।
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