नई दिल्ली। चाइल्ड पॉर्नोग्राफी को फैलाने वाले लोग व्हाट्सएप का इस्तेमाल इस संबंध में सामग्री को फैलाने के लिए धड़ल्ले से करते हैं। टेकक्रंच की गुरुवार की रिपोर्ट के अनुसार, पर्याप्त मानव मध्यस्थों (ह्यूमन मॉडरेटर्स) के अभाव में, मैसेजिंग एप के जरिये इस तरह की सामग्रियां आगे बढ़ जा रही है, जोकि अपने प्रयोगकतार्ओं के लिए एंड-टू-एंड इंक्रीप्शन प्रदान करता है।
इजरायल के दो एनजीओ स्क्रीन सेवर्स और नेटीवेई रेशे की रिपोर्ट के अनुसार, व्हाट्सएप ग्रुप को खोजने के लिए थर्ड पार्टी एप चाइल्ड पॉर्नोग्राफी सामग्री को बढ़ाने वाले प्रयोगकतार्ओं के साथ जुड़ने के लिए निमंत्रण लिंक की पेशकश करते हैं।
उत्पीड़न-रोधी स्टार्टअप एंटी टॉक्सिन के अनुसार, टेकक्रंच ने अपनी जांच में पाया कि इनमें से कई समूह मौजूदा समय में सक्रिय हैं। इनमें से कुछ समूह तो अपने काम को छुपाते भी नहीं। टेकक्रंच की जांच के अनुसार, फेसबुक को व्हाट्सएप पर इस तरह की सामग्रियों को फैलने से बचाने की कोशिश करते हुए देखा गया।
रिपोर्ट के अनुसार, तकनीकी उपायों के बिना ही, जिसकी इंक्रीप्शन को कमजोर करने के लिए जरूरत होगी, व्हाट्सएप मध्यस्थों को इन समूहों को खोज निकालने और इनमें रोक लगाने के लिए सक्षम होना चाहिए। चाइल्ड पॉर्नोग्राफी ही एकमात्र समस्या नहीं है, जिससे यह मैसेजिंग एप जूझ रहा है। भारत जैसे देश में व्हाट्सएप का इस्तेमाल अफवाहों को फैलाने के लिए भी किया जाता है, जिसके फलस्वरूप कई लोगों को पीट-पीट कर मार डाला गया है।
Disha News India Hindi News Portal