टीनेजर्स को पर्याप्त मात्रा में मिलने वाली नींद से वे सामाजिक तनाव का बेहतर तरीके से सामना कर सकते हैं. मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी और फोर्डहेम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है. उनकी मानें तो पर्याप्त और बेहतर नींद से न सिर्फ टीनेजर्स तनाव का मुकाबला कर पाते हैं. इससे भेदभाव का सामना करने में भी मदद मिलती है. इसके अलावा कोई भी मुश्किल आने पर उन्हें आसानी से दोस्तों का साथ भी मिल जाता है.
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर यिजिहे वांग के मुताबिक, शोध में हमने जाना कि टीनेजर्स को सामाजिक चुनौतियों का सामना करने में नींद की क्या भूमिका है और इसी से यह भी स्पष्ट हुआ कि हाई स्कूल और कॉलेज में इसका क्या फर्क रहता है.
हाई स्कूल में तनाव बढ़ता है
वांग के सहयोगी टिफिनी यिप ने बताया, बच्चों और वयस्कों के मुकाबले हाई
स्कूल स्टूडेंट्स के कम नींद लेने के मामले देखे जाते हैं. इसकी वजह उनका
बिजी शेड्यूल जिसमें सुबह जल्दी स्कूल जाने से लेकर पढ़ाई का तनाव, बढ़ती
उम्र में हो रहे बदलाव है. हाई स्कूल से टीनेजर्स का सामाजिक दायरा बढ़ना
शुरू होता है, जिससे तनाव भी बढ़ना लाजमी है. हमें शोध में जानना था कि
क्या अच्छी नींद लेने पर टीनेजर्स मानसिक रूप से इतने मजबूत हो पाते हैं कि
अपने साथ भेदभाव का सामना कर सकें. हमने जाना कि जब टीनेजर्स के साथ
भेदभाव हुआ, उन्होंने कम नींद ली और नींद की गुणवत्ता खराब हुई. वहीं अच्छी
नींद लेने पर अगर उनके साथ किसी तरह का भेदभाव हुआ तो वे उसका सामना अच्छे
से कर पाए क्योंकि इससे उनकी मानसिक स्थिति बेहतर हुई.
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