Friday , April 19 2024
Breaking News

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला: युवाओं को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार

Share this

प्रयागराज. देश लव जिहाद को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रेम विवाह के एक मामले में अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि दो युवाओं को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कानून दो बालिग व्यक्तियों को एक साथ रहने की इजाजत देता है. चाहे वे समान या विपरीत सेक्स के ही क्यों न हों. कोर्ट ने साफ किया कि उनके शांतिपूर्ण जीवन में कोई व्यक्ति या परिवार दखल नहीं दे सकता है. यहां तक कि राज्य भी दो बालिग लोगों के संबंध को लेकर आपत्ति नहीं कर सकता है.

दरअसल कुशीनगर के विष्णुपुरा थाना क्षेत्र के रहने वाले सलामत अंसारी और तीन अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. आरोप है कि सलामत और प्रियंका खरवार ने परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी की है. दोनों ने मुस्लिम रीति रिवाज के साथ 19 अगस्त 2019 को शादी की. शादी के बाद प्रियंका खरवार अब आलिया बन गई है. प्रियंका के पिता ने मामले में एफआईआर दर्ज कराई है. उन्होंने बेटी के अपहरण और पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करवाई है.

सलामत व तीन अन्य की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर ये एफआईआर रद्द करने की और सुरक्षा की मांग की गई है. कोर्ट ने पाया कि प्रियंका खरवार उर्फ आलिया की उम्र का कोई विवाद नहीं है. प्रियंका खरवार उर्फ आलिया की उम्र 21 वर्ष है. कोर्ट ने प्रियंका खरवार उर्फ आलिया को अपने पति के साथ रहने की छूट दी है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पॉक्सो एक्ट लागू नहीं होता है. कोर्ट ने याचियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को भी रद्द कर दिया है.

वहीं हाईकोर्ट ने पिता के बेटी से मिलने के अधिकार पर कहा कि बेटी प्रियंका खरवार की मर्जी है कि वह किससे मिलना चाहेगी. हालांकि साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी उम्मीद जताई कि बेटी परिवार के लिए सभी उचित शिष्टाचार और सम्मान का व्यवहार करेगी. प्रियंका खरवार उर्फ आलिया के पिता ने कहा कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन प्रतिबंधित है. ऐसी शादी कानून की नजर में वैध नहीं है. इस पर कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति की पसंद का तिरस्कार, पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है. कोर्ट ने कहा प्रियंका खरवार और सलामत को अदालत हिंदू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखती है.

कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-21 ने अपनी पसंद व इच्छा से किसी व्यक्ति के साथ शांति से रहने की आजादी देता है. इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है. जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन ने ये आदेश दिया है.

Share this
Translate »