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पिगासस सॉफ्टवेयर से देश के 300 नामचीन की जासूसी का दावा, कितनी हकीकत और कितना छलावा

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नई दिल्ली। तमाम मीडिया संस्थनों की एक डाटा लीक जांच में बड़ी ही हैरतअंगेज बात सामने आने से खासा हड़कम्प सा मच गया है दरअसल कथित तौर पर ऐसा दावा किया जा रहा है कि एक इजराइली साफ्टवेयर द्वारा  भारत के 300 से अधिक फोन नंबरों की जासूसी की गई। इनमें मंत्री, विपक्षी नेता, दिग्गज पत्रकार और वैज्ञानिक समेत सामाजिक कार्यकर्ता आदि शामिल हैं।

गौरतलब है कि इस्राइल की फर्म पिगासस के सॉफ्टवेयर से फोन टैप करने और जासूसी किए जाने के मामले का जिन्न एक बार फिर सामने आ सकता है। दरअसल सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने ट्वीट में कहा है कि चर्चा है कि आज शाम (भारतीय समयानुसार) वॉशिंगटन पोस्ट और लंदन गार्जियन एक रिपोर्ट प्रकाशित करने वाले हैं। स्वामी के अनुसार इस रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी की कैबिनेट के मंत्रियों, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और पत्रकारों के फोन टैप करने का काम इस्राइल की फर्म पिगासस को दिए जाने का खुलासा किया जाएगा।

सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि अगर मैं इसकी पुष्टि कर पाता हूं तो मैं यह सूची प्रकाशित करूंगा। हालांकि, बता दें कि वॉशिंगटन पोस्ट और लंदन गार्जियन की वेबसाइट पर ऐसा कोई दावा नहीं है कि वह इससे संबंधित कोई खुलासा करने जा रहे हैं। बता दें कि इस्राइल का पिगासस सॉफ्टवेयर जासूसी के लिए है। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट में कई बड़े नामों का खुलासा हो सकता है।

जानकारी के अनुसार भारत में कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी, प्रह्लाद पटेल के फोन और व्हाट्सएप टैप किए गए थे। इसके अलावा दत्तात्रेय होसबोले समेत कुछ आरएसएस नेताओं, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और सैकड़ों पत्रकारों के फौन टैप किए गए थे। यह टैपिंग 2018-19 के दौरान हुई थी। कई सीबीआई, ईडी और आईटी अधिकारियों के फोन भी टैप किए गए थे। यह रिपोर्ट द गार्जियन और वाशिंगटन पोस्ट समेत 16 मीडिया संस्थानों की एक संयुक्त जांच के बाद सामने आई है। हालांकि, पिगासस नामक एनएसओ ने इन दावों का खंडन किया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इस हैकिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल सिर्फ अपराधियों और आतंकवादियों के खिलाफ किया जाता है।

इसके अलावा केंद्र सरकार ने भी इन दावों को खारिज कर दिया। सरकार की तरफ से कहा गया कि देश में किसी का भी फोन गैरकानूनी रूप से हैक नहीं किया गया। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी चिट्ठी में कहा गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों पर तयशुदा कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए ही किसी का फोन टेप करने की इजाजत दी जा सकती है।

बताया जाता है कि इस रिपोर्ट में पिगासस सॉफ्टवेयर का लगातार और बड़े स्तर पर दुरुपयोग होने का दावा किया गया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हैकिंग सॉफ्टवेयर से दुनिया भर में कई सरकारों ने जासूसी कराई, जिनमें 300 से अधिक वेरिफाइड भारतीय मोबाइल नंबर शामिल हैं। इन फोन नंबरों का इस्तेमाल, मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों, वैज्ञानिकों, विपक्षी नेताओं, व्यापारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं समेत अन्य कर रहे थे।

इतना ही नही बल्कि ये भी दावा है कि इन नंबरों से संबंधित कुछ फोन की फॉरेंसिक जांच में साफ संकेत मिले कि 37 फोन पिगासस सॉफ्टवेयर के जरिए निशाना बनाए गए। इनमें से 10 भारतीय थे। माना जाता है कि इस्राइली कंपनी एनएसओ ने यह सॉफ्टवेयर दुनिया की 36 सरकारों को बेचा, लेकिन उसने अपने ग्राहकों की पहचान उजागर नहीं की।

जानकारी के मुताबिक, इस लीक डाटाबेस को पेरिस के नॉन प्रॉफिट मीडिया ‘फॉरबिडेन स्टोरीज’ और ‘एम्नेस्टी इंटरनेशनल’ ने एक्सेस किया। उन्होंने ही यह डाटा अन्य मीडिया संस्थानों के साथ साझा किया। इस पड़ताल को ‘प्रोजेक्ट पिगासस’ नाम दिया गया। फॉरबिडेन स्टोरीज के मुताबिक, इस रिपोर्ट में एनएसओ के ग्राहकों द्वारा चुने गए फोन नंबरों के रिकॉर्ड हैं। इस सूची में पहचाने गए अधिकतर फोन नंबर 10 देशों के हैं। इन देशों में भारत, अजरबैजान, बहरीन, हंगरी, कजाकिस्तान, मैक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में 40 से अधिक पत्रकारों, तीन प्रमुख विपक्षी नेताओं, एक सांविधानिक अधिकारी, केंद्र सरकार के दो मंत्रियों, सुरक्षा संगठनों के वर्तमान व पूर्व अध्यक्ष व कारोबारी की जासूसी की गई। इसके अलावा पिगासस प्रोजेक्ट के डाटाबेस में एक फोन नंबर सुप्रीम कोर्ट के एक वर्तमान न्यायाधीश के नाम पर दर्ज है।

हालांकि, रिपोर्ट में यह पुष्टि नहीं हो पाई है कि डाटाबेस में जब यह नंबर जुड़ा, तब न्यायाधीश उस नंबर का इस्तेमाल कर रहे थे या नहीं। जबकि रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत में 13 आईफोन की जांच की गई, जिनमें नौ मोबाइल फोन को निशाना बनाने की बात सामने आई। वहीं, इनमें से सात आईफोन में पिगासस सॉफ्टवेयर पाया गया। हालांकि, इस संयुक्त जांच में यह स्पष्ट नहीं हुआ कि जिन नंबरों की सूची लीक हुई है, उनकी जासूसी की गई या नहीं।

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