Saturday , April 20 2024
Breaking News

भोले की नगरी की गजब रस्म, होली पर रंग नही खेलते हैं चिता की भस्म

Share this

वाराणसी। आपने अपने देश से लेकर विदेशों में रंगों, फल- फूल आदि से होली खेलने के तरीके देखे और सुने होंगे लेकिन एक ऐसा तरीका जिसे जान कर आप भी एक पल को रह जायेंगे हैरान। क्योंकि धर्म और शिव की नगरी काशी में रंगो के बजाय चिता की राख के साथ होली खेली जाती है।
गौरतलब है कि काशी में रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन लोग आकर बाबा मशान नाथ की आरती कर चिता से राख की होली शुरू करते हैं। इस दौरान ढोल और डमरू के साथ पूरा शमशान हर-हर महादेव के उद्घोष से गुंजायमान होता हैं। साधु-संत माता पार्वती को गौना कराकर लौटते हैं। अगले दिन बाबा विश्वनाथ काशी में अपने चहेतों, जिन्हें शिवगण भी कहा जाता है अपने चेलों भूत-प्रेत के साथ होली खेलते हैं।
माना जाता है कि भगवान शंकर इस दिन महाश्मशान में चिता की भस्म से होली खेलते हैं। ये सदियों पुरानी प्रथा है, जो काशी में आज भी जारी है। ये होली काशी में मसाने की होली के नाम से जानी जाती है। इस होली को खेलने वाले शिवगणों को ऐसा प्रतीत होता है कि वह भगवान शिव के साथ होली खेल रहे हैं। इसलिए काशी के साधु संत और आम जनता भी महाश्मशान में चिता भस्म की होली खेलते हैं।

 

 

Share this
Translate »