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लाखों करोड़ के दर्जन भर बड़े बकायेदार, आइबीसी कोड के तहत कारवाई को रहें तैयार

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(सुनीता गुप्ता)

देश की भाजपा नेतृत्व वाली राजग सरकार अपने शुरूआती दौर में ललित मोदी फिर विजय माल्या अब ऐन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले नीरव मोदी एंड कंपनी द्वारा देश की अर्थ व्यवस्था को तगड़ा झटका देकर विदेश भाग जाने से कुपित हो अब बेहद सख़्त रूख अपनाने वाली है क्योंकि इनसे वसूली करना सरकार के लिए अब काफी हद तक नाक का सवाल बन गया है। जिसके तहत जहां वह इन सभी पर तो शिकंजा कस ही रही है साथ ही अब ऐसे कॉरपोरेट घरानों पर दबाव बना रही जिन पर कर्ज की देनदारी अरबों रुपए है।

गौरतलब है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के डूबते कर्ज का बड़ा हिस्सा कॉर्पोरेट क्षेत्र के पास ही है। यह करीब 7.34 लाख करोड़ रु. है। तभी नए इन्सॉलवेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड को डूबते कर्ज के मामले में पूरी तरह सफाई के लिए लाते हुए पहली बार भारतीय कंपनियों पर अपना हिसाब-किताब दुरुस्त करके बैंको का कर्ज चुकाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। वहीं बड़ी बात यह है कि 12 बड़े (डिफॉल्टर) गबनकर्ताओं को कर्ज चुकाने की दी गई मियाद कुछ समय में पूरी हो जाएगी। तब (आइबीसी) इन्सॉलवेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड की मदद से कर्ज के इस खेल का पासा पलटता दिखेगा।

अब देखने और बखूबी गौर करने की बात है कि सरकार इसके लिए कितनी सख्ती करेगी क्योंकि तकरीबन ऐसे 12 बड़े बकायेदार हाल फिलहाल रडार पर हैं जो अप्रैल 2018 के बाद या तो कर्ज अदा करेंगे या फिर इन्सॉलवेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड के तहत कार्रवाई को झेलने को मजबूर होंगे।

जानकारी के अनुसार टेक्सटाइल्स कंपनी  आलोक इंडस्ट्रीज पर  29,912 करोड़ रु. का कर्ज है। कंपनी ने दावे की रकम मंजूर की, और 14 अप्रैल 2018 तक की तिथि 180 दिन की मियाद के बाद 90 दिन की मोहलत खत्म होने की तिथि है। वहीं ऑटो कंपोनेंट बनाने वाली एमटेक ऑटो पर 12,586 करोड़रु. का कर्ज है। जिसके चुकाने की आखिरी तारीख 20 अप्रैल 2018 है। तथा जहाज निर्माण की कंपनी एबीजी शिपयार्ड पर 18,539 करोड़ रु.का कर्ज है उसे 28 अप्रैल 2018 तक कर्ज चुकाना है।

इसी प्रकार इस्पात कंपनी भूषण स्टील पर 55,989 करोड़ रु. का कर्ज है और वह उसे चुकाने की प्रक्रिया में है। स्टील और बिजली उत्पादन में लगी भूषण पावर ऐंड स्टील पर 48,524 करोड़ रु का कर्ज है. उसे यह कर्ज 22 अप्रैल 2018 तक चुकाना है। तथा इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स भी स्टील बनाती है, उस पर 13,302 करोड़ रु. का कर्ज है. चुकाने की आखिरी तारीख 17 अप्रैल 2018 है। जबकि एक अन्य इस्पात कपनी एस्सार स्टील पर 50,778 करोड़ रु. का  ऋण है  जोकि उसे 29 अप्रैल 2018 तक चुकाना है।

इसके अलावा ज्योति स्ट्रक्चर्स, बिजली पारेषण की कंपनी है. उस पर 8,078 करोड़ रु. का कर्ज है। जिसको अदा करने की तारीख 31 मार्च 2018 है। तथा जेपी इन्फ्राटेक, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की कंपनी है, कर्ज की रकम 13,322 करोड़ रु. है। अदा करने की आखिरी तारीख 4 मई 2018 है। वहीं  लैंको इन्फ्राटेक बिजली का उत्पादन करने की वाली कंपनी है कुल कर्ज 59,505 करोड़ रु. है। उसे 3 मई 2018 तक अदा करना है।

साथ ही मोनेट इस्पात ऐंड एनर्जी स्टील कंपनी है। कुल कर्ज 10,412 करोड़ रु. है और उसे 13 अप्रैल 2018 तक अदा करना है। जबकि इरा इन्फ्रा इंजीनियरिंग भी गबनकर्ताओं की सूची में शामिल है। कंपनी ने कॉर्पोरेट इन्सॉलवेंसी प्रक्रिया को अभी मंजूर नहीं किया है।

इस पूरी प्रक्रिया की परीक्षा 13 अप्रैल से शुरू होगी जब मोनेट इस्पात ऐंड एनर्जी लिमिटेड को दी गई मियाद खत्म हो रही है। बेहद अहम और गौर करने वाली बात है कि करदाताओँ का तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक ही दांव पर हैं जिसे बैंको से कर्ज के रूप में इन बारह बड़े कर्जदारों ने दबा रखा है।

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