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खाने के तेल के दाम आगे भी बढ़ने की आशंका, बारिश होने से घट सकती है पैदावार

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नई दिल्ली.  इस साल खरीफ की फसल में कई चीजों की बुवाई बेहतर हुई है तो तिलहन में कमी देखी जा रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक अगर मॉनसून लंबा खिंचा तो अच्छी बुवाई के बावजूद ज्यादा बारिश होने से पैदावार घट सकती है. ऐसा हुआ तो महंगाई का और बढ़ना तय है.

केयर रेटिंग के मुताबिक 10 सितंबर तक के आंकड़ों के हिसाब से पिछले साल के 1107 लाख हेक्टेयर के मुकाबले अभी तक 1097 लाख हेक्टेयर ही बुवाई हो पाई है. इसमें एमएसपी बढ़ने का असर भी दिख रहा है. धान की फसल 1.6 हेक्टेयर, दलहन की फसल 2.66 हेक्टेयर ज्यादा बोई गई है. दलहन की ज्यादा बुआई से मूंग, अरहर और उड़द की दाल का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है. इसके अलावा गन्ने की बुआई भी 0.74 लाख हेक्टेयर ज्यादा देखी गई है.

मूंगफली की बुआई 3.2 लाख हेक्टेयर घटी

इसके अलावा मोटे अनाज की बात की जाए को इनका रकबा 4.42 लाख हेक्टेयर घटा है. इसमें बाजरे की फसल की बुआई घटी है. साथ ही कपास का रकबा 7.3 लाख हेक्टेयर घटा है. इससे टेक्सटाइल उद्योग का कच्चामाल महंगा होने की आशंका है. तिलहन की बात की जाए तो मूंगफली की बुआई 3.2 लाख हेक्टेयर घटी है. सोयाबीन की फसल जरूर लक्ष्य के हिसाब से है. देश में जिस हिसाब से 55-60 फीसदी खाने का तेल आयात किया जाता है मूंगफली का कम उत्पादन मुश्किल पैदा कर सकता है.

केयर रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनविस ने हिंदुस्तान को बताया है कि तिलहन और दलहन के मोर्चे पर अगर बुवाई के मुकाबले पैदावार घटती है तो आयात बढ़ेगा ही ऐसे में इन चीजों की महंगाई बढ़नी तय है. वहीं चावल या फिर दलहन की बात की जाए तो अभी तक बुवाई कम है. चावल का बफर स्टॉक पर्याप्त मात्रा में देश में मौजूद है. अगर इसकी उपज घटती है तो इसके आयात की जरूरत नहीं होगी. वहीं दलहन में यदि उपज घटी तो आयात बढ़ेगा.

उन्होंने ये भी बताया कि बुवाई अच्छी होने के बावजूद अगर मॉनसून ज्यादा दिनों तक टिका तो फसल बर्बाद होने की पूरी आशंका बनी हुई है. पिछले साल भी अक्टूबर के आखिर तक मॉनसून का असर देखा गया था ऐसे में इन फसलों की कटाई के समय मुश्किल आई. ऐसे हालातों का सबसे ज्यादा असर खाने पीने की चीजों की कीमतों पर देखने को मिलेगा, जो महंगाई बढ़ाएगा.

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