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उपचुनावः भाजपा को लगाने ठिकाने, सपा-बसपा चले साथ निभाने

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  • सियासी दल नए सिरे से रणनीति बनाने में लगे
  • चर्चा है सपा-बसपा उपचुनाव में हाथ मिला लिया है
  • इन चर्चाओं पर योगी ने तंज कसते हुए  कहा
  • कह ‘रहीम कैसे निभे, केर-बेर को संग’

लखनऊ। पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा के जोरदार प्रदर्शन से तकरीबन सभी दलों में एक तरह से हड़कम्प मच गया हैं। वहीं अब प्रदेश में लोकसभा की दो सीटों गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव को लेकर अब तमाम सियासी दल सचेत हो कर नए सिरे से अपनी-अपनी रणनीति बनाने में लग गए हैं। अगर चर्चाओं को मानें तो उसके अनुसार बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में हाथ मिला लिया है। वहीं इन चर्चाओं पर योगी ने तंज कसते हुए आज कहा कि कह ‘रहीम कैसे निभे, केर-बेर को संग’।

सुत्रों के मुताबिक गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी समाजवादी पार्टी का समर्थन करेगी। क्योंकि बसपा का एक बड़ा वर्ग 2019 के लोकसभा के चुनाव में भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता के लिए पैरवी कर रहा है।

इसी के चलते तथा त्रिपुरा में लेफ्ट की हार और भाजपा की जीत के बाद बसपा के समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थन की चर्चाएं तेज हो गईं। हालांकि बसपा के जिम्मेदार नेताओं ने इस तरह की किसी सूचना से इन्कार किया है।

गौरतलब है कि गोरखपुर और फूलपुर में हो रहे लोकसभा उपचुनाव के बारे में बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के जिम्मेदार नेताओं से फीडबैक लिया था। दोनों लोकसभा क्षेत्रों के जोनल कोऑर्डिनेटर से भी उनकी बात हुई थी। शनिवार को अचानक बसपा के सपा को समर्थन की चर्चाएं तैरने लगीं, क्योंकि बसपा के कई नेता भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता के पक्ष में थे।

वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जब पूछा गया था कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की बढ़ रही नजदीकियों को वह किस रुप में देखते हैं। बता दें कि बसपा ने गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में सपा उम्मीदवारों को समर्थन देने का मन बनाया है।
योगी ने कहा कि जिस तरह केर और बेर एक साथ नहीं रह सकते उसी तरह नजदीक आने का प्रदर्शन कर रहे दोनों दल की दूरियां कम नहीं हो सकतीं। जब उनसे पूछा गया कि इसमें कौन केर है और कौन बेर है तो उन्होंने कहा कि स्टेट गेस्ट हाऊस कांड किसने करवाया था। लखनऊ में बने स्मारकों को ध्वस्त करने की चेतावनी कौन दे रहा था। यह साफ है कि दोनों में एक केर है और एक बेर। केर और बेर एक साथ नहीं रह सकते। बताते चले कि योगी त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे।

 

 

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