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विपक्ष के कड़े विरोध के बीच UPCOCA बिल विधानसभा में हुआ पुनः पास

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लखनऊ। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज विधानसभा में यूपीकोका  (उत्तरप्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण कानून) बिल पेश किया। जिसके तहत उत्तर प्रदेश विधानसभा ने यूपीकोका (उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण) विधेयक, 2017 को पारित कर दिया। इससे पहले सरकार इस बिल को विधान परिषद में पारित करवाने में विफल रही थी और फिर प्रवर समिति में भी सरकार का प्रस्ताव गिर गया था।

गौरतलब है कि इस विधेयक को विधानमण्डल के निचले सदन में पारित किये जाने के बाद इसे विधान परिषद में पेश किया गया था लेकिन विपक्ष की आपत्तियों के बाद इसे सदन की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था। वहां से लौटाने के बाद गत 13 मार्च को सरकार द्वारा इस पर विचार का प्रस्ताव विपक्ष की एकजुटता के कारण गिर गया था। लिहाजा अब प्रक्रिया के तहत इसे दुबारा विधानसभा में पेश किया गया है।
हालांकि महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) की तर्ज पर कानून बनाने के लिए लाए गए इस विधेयक का विपक्ष कड़ा विरोध कर रहा है। उसका कहना है कि सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों का दमन करने के लिए इसे पारित कराना चाहती है।

वहीं योगी ने उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (यूपीकोका) 2017 पेश करते हुए कहा, ”संगठित अपराध एक जिले या एक राज्य का नहीं बल्कि राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विषय बन गया है। अपराध नियंत्रण के लिए जो प्रयास हमारी सरकार ने किये, उसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आये हैं। उन सबके बावजूद महसूस किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में अपराध पर पूर्ण नियंत्रण के लिए कठोर कानून की आवश्यकता है.” उन्होंने कहा कि अपराध की प्रकृति और दायरा बढ़ने के साथ साथ प्रदेश में संगठित अपराध पर प्रभावी नियंत्रण के लिए एक कानून की आवश्यकता बहुत दिन से महसूस की जा रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश की जनता की सुरक्षा के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य करे, उसी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए हम ये विधेयक लाये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश बड़ा राज्य है। विभिन्न प्रदेशों से हमारी सीमाएं मिलती हैं. नेपाल से हमारी सीमाएं मिलती हैं। ये सभी सीमाएं खुली हैं….आज ऐसे कानून की आवश्यकता है जो संगठित अपराध में लिप्त तत्वों पर कठोरता करे और आम जनमानस को बिना भेदभाव के सुरक्षा की गारंटी दे सके। उन्होंने कहा कि इस दृष्टि से प्रदेश में पिछले एक वर्ष में एक माहौल देने का कार्य हुआ है। जो प्रयास हमारी सरकार ने किये, उसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आये हैं. योगी ने कहा कि यूपीकोका का दुरूपयोग कोई नहीं कर सकता।

नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चौधरी (सपा) ने कहा कि हर सरकार चाहती है कि उसके राज में कानून नेता जबकि इस पर सवालिया लहजे में नेता प्रतिपक्ष राम गोविन्द चौधरी  ने कहा कि हर सरकार चाहती है कि उसके राज में कानून व्यवस्था ठीक हो. जनता भी यही चाहती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के भाषण से प्रतीत हुआ कि अपराध घटे हैं।  जब कानून व्यवस्था बेहतर हो गयी है तब इस कानून को लाने की जरूरत क्या है। यह लोकतंत्र एवं संविधान विरोधी कानून है। चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार के समय अपराध बढ़े हैं. यूपीकोका पुलिस की जेब भरने वाला कानून है। बसपा नेता लालजी वर्मा और कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू ने भी विधेयक का विरोध किया ।

इस बिल के तहत सरकार अपराध नियंत्रण के लिए राज्य सरकार विशेष न्यायालयों का गठन करेगी, ताकि अापराधिक मामलों का त्वरित ढंग से निष्पादन हो सके । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्व में कह चुके हैं कि इस बिल के कानून की शक्ल लेने पर इससे राज्य में निवेश बढ़ाने और उद्योग व्यापार का माहौल अनुकूल बनाने में मदद मिलेगी ।
इस कानून के तहत आने वाले मामलों की जांच कमिश्नर व आइजी रैंक के अधिकारी करेंगे । ताकि कानून के गलत उपयोग से बचा जा सके। पुलिस अधिकारियों को इसके लिए अपने वरीय अफसरों से अनुमति लेनी होगी । इस बिल के कानून बनने पर राज्य सरकार के पास अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का भी अधिकार होगा. हालांकि इसके लिए कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। इस बिल के तहत ऐसे असंगठित अपराध करने वालों को सरकारी सुरक्षा भी मुहैया नहीं करायी जाएगी।

ज्ञात हो कि (मकोका) की तर्ज पर यूपी काेका कानून लाया गया है जिससे प्रदेश में हाे रहे अपराध पर राेक लगाई जा सके। यूपी काेका के तहत गिरफ्तार अपराधी काे 6 महीने तक जमानत नहीं मिलेगी। इतना ही नहीं यूपी काेका के तहत कम से कम 5 साल का प्रावधान है।

 

 

 

 

 

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