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यशवंत सिन्हा ने BJP छोड़ी, कहा- देश के लोकतंत्र को है खतरा

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पटना। पिछले काफी वक्त से अपनी पार्टी से असुतष्ट भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने अंततः आज पार्टी का दामन छोड़ने की विधिवत घोषणा कर दी है। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर घोषणा करते हुए कहा कि मैं आज से न सिर्फ भाजपा से अपने सभी संबंध खत्म कर रहा हूं बल्कि दलगत राजनीति छोड़ रहा हूं। हालांकि, मैं इसके बाद कोई नया राजनीतिक दल नहीं बना रहा और ना ही चुनाव लड़ूंगा।

पटना के एसकेएम हॉल में आयोजित राष्ट्र मंच से उन्होंने कहा कि आज मैं सभी तरह की दलगत राजनीति से सन्यास ले रहा हूं। आज में भाजपा से अपने सभी संबंध खत्म कर रहा हूं। मैं चुनावी राजनीत से बहुत पहले सन्यास ले चुका हूं और अब दलगत राजनीति से भी सन्यास ले रहा हूं। यशवंत ने कहा कि अभी जो स्थिति बन गई है इसमें सभी को एकजुट होने की जरूरत है। अगर हम आज एकजुट न हुए तो आने वाली पीढ़ी हमें इसके लिए माफ नहीं करेगी। वहीं देश में जारी कैश की किल्लत के लिए उन्होंने वित्त मंत्री अरूण जेतली और आरबीआई जिम्मेदार ठहराया।

सिन्हा द्वारा पटना में बुलाई गई गैर भाजपा दलों की बैठक में शत्रुघ्न सिन्हा भी शामिल हुए। वहीं सम्मेलन में कांग्रेस की नेता रेणुका चौधरी, आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष और संजय सिंह व अन्य पार्टियों के कई नेता मौजूद थे। उन्होंने कहा कि जब देश मुसीबत में था, पटना ने रास्ता दिखाया था। आज भी देश को पटना रास्ता दिखाएगा। गुजरात चुनाव के कारण संसद का सत्र छोटा किया गया, देश में ऐसा कभी नहीं हुआ। हम देश की हालत पर विचार करने आए हैं। देश की परिस्थिति चिंताजनक है।

उन्होने कहा कि पटना से मेरा लगाव शुरू से रहा है। मैंने यहां पढ़ाई की और नौकरी भी की। शत्रुघ्न सिन्हा घबराएं नहीं, मैं यहां से चुनाव नहीं लड़ूंगा। मेरा दिल देश के लिए धड़कता है। लोकतंत्र बचाने के लिए मैं आंदोलन करूंगा। भारतीय जनता पार्टी से मेरा रिश्ता खत्म हो चुका है। शनिवार को विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक कर उन्होंने यह फैसला लिया।उन्होंने भाजपा सांसदों से अपील करते हुए कहा था कि राष्‍ट्रीय हितों के लिए आपको अपनी आवाज उठानी चाहिए। अगर अब खामोश रहे तो आने वाली पीढिय़ां आपको माफ नहीं करेंगी।

बताया जाता है कि सिन्हा पिछले कुछ महीनों से मोदी सरकार पर तीखे हमले करने के साथ ही कई मुद्दों पर सरकार को घेरते रहे हैं। वहीं उन्होंने इसी साल 30 जनवरी को राष्ट्र मंच के नाम से एक नए संगठन की स्थापना की थी। तब उन्होंने कहा था कि यह संगठन गैर-राजनीतिक होगा और केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों को उजागर करेगा।

 

 

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