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दरिंदों को सख्त सजा की मांग हुई पूरी, POCSO एक्ट में संशोधन के अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी

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नई दिल्ली मासूम बच्चियों से दरिंदगी करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा और फांसी दिये जाने की लोगों की मांग आज हो गई पूरी क्यों कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म पर फांसी की सजा को दे दी मंजूरी

गौरतलब है कि शनिवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार ने बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (पॉक्‍सो एक्‍ट) में संशोधन कर आरोपी को फांसी की सजा पर मुहर लगाई थी, जिसके बाद संशोधित पॉक्सो एक्ट को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया था। जिसके तहत 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामलों में दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को मृत्युदंड सहित सख्त सजा देने संबंधी अध्यादेश को आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी।

ज्ञात हो कि कठुआ में पिछले दिनों हुई दुष्‍कर्म की घटना के बाद ऐसे आरोपियों को सख्‍त सजा देने की मांग की गई थी। जिसके चलते ही इस कानून में बदलाव के बाद 12 साल तक बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को मौत की सजा होगी। पॉक्सो एक्ट के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, दोषियों के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है और न्‍यूनतम सात साल की जेल है। 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आता है। इसके तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गयी। यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है।

नए कानून के हिसाब से मुख्य रूप से इन बातो का विशेष ध्यान रखा जायेगा   –

  • नए कानून के मुताबिक, नाबालिगों से दुष्कर्म के मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की व्यवस्था की जाएगी।
  • फॉरेंसिक जांच के जरिए सबूतों को जुटाने की व्यवस्था को और मजबूत करने की व्यवस्था भी की जाएगी।
  • दो महीने में ट्रायल पूरा करना होगा, अपील दायर होने पर 6 माह में निपटारा करना होगा
  • नाबालिग के साथ दुष्कर्म के केस को कुल 10 महीने में खत्म करना होगा

रेप मामले में नए अध्यादेश के प्रावधान के अनुसार

  • 16 एवं 12 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के मामलों में दोषियों के लिए सख्त सजा की अनुमति है।
  • 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा देने की बात इस अध्यादेश में कही गई है।
  • महिलाओं से बलात्कार मामले में न्यूनतम सजा सात साल से 10 साल सश्रम कारावास की गई जो अपराध की प्रवृत्ति को देखते हुए उम्रकैद तक भी बढ़ाया जा सकता है।
  • 16 साल से कम उम्र की लड़कियों से सामूहिक बलात्कार के दोषी के लिए उम्रकैद की सजा का प्रावधान बरकरार रहेगा।
  • 16 साल से कम उम्र की लड़कियों के बलात्कार मामले में न्यूनतम सजा 10 साल से बढ़ाकर 20 साल की गई और अपराध की प्रवृत्ति के आधार पर इसे बढ़ाकर जीवनपर्यंत कारावास की सजा भी किया जा सकता है। यानी दोषी को मृत्यु होने तक जेल की सजा काटनी होगी।
  • भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), साक्ष्य अधिनियम, आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता ( सीआरपीसी) और यौन अपराधों से बाल सुरक्षा (पोक्सो) अधिनियम को अब संशोधित माना जाएगा।
  • अध्यादेश में मामले की त्वरित जांच एवं सुनवाई की भी व्यवस्था है।
  • अधिकारियों ने बताया कि बलात्कार के सभी मामलों में सुनवाई पूरी करने की समय सीमा दो माह होगी। साथ ही, 16 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को अंतरिम जमानत नहीं मिल सकेगी।
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