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आसाराम केस: तमाम धमकियों से भी नहीं घबराये, आगाज को अंजाम तक ले ही आये

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  • इस पूरे मामले को अंजाम तक पहुंचाने में
  • SSP अजय पाल लांबा का विशेष योगदान है
  • लांबा  को 2000 से ज्यादा धमकी भरे खत
  • पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी

जोधपुर। तमाम दुश्वारियों को  धता बताते हुए और अपने कर्तव्यों को बखूबी निभाते हुए आसाराम के केस को अंजाम तक पहुचाने वाले जांबांज पुलिस अफसर की बातों मे दम है  जैसा उन्होंने कहा कि आसाराम पर आया फैसला ऐतिहासिक है । उनके अनुसार इस तरह का फैसला बताता है कि अगर कानून साधारण लोगों के लिए है तो बड़े लोग भी इससे नहीं बच सकते। सच्चाई की जीत हुई है।

गौरतलब है कि आज जिस आरोपी आसाराम को दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिया गया है। इस पूरे मामले को अंजाम तक पहुंचाने में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अजय पाल लांबा का विशेष योगदान है। जिस वक्त आसाराम पर आरोप लगे, अजय जोधपुर वेस्ट के डीसीपी थे. अब लांबा एंटी करप्शन ब्यूरो में एसपी हैं। आसाराम केस की पूरी जांच डीसीपी अजय पाल लांबा की देखरेख में हो रही थी। आसाराम की गिरफ्तारी के बाद अजय को 2000 से ज्यादा धमकी भरे खत,  धमकी भरे फोन कॉल आ रहे थे. आसाराम समर्थक  पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दे रहे थे। एक वक्त ऐसा आया जब अजय ने किसी भी अनजान नंबर से आये फोन को रिसीव करना बंद कर दिया।

जैसा कि एक अंग्रजी अखबार से बातचीत के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अजय पाल लांबा ने कहा, आसाराम पर आया फैसला ऐतिहासिक है। इस तरह का फैसला बताता है कि कानून साधारण लोगों के लिए है और बड़े लोग भी इससे नहीं बच सकते. सच्चाई की जीत हुई है। लांबा ने बताया, इस मामले की  जांच के लिए मुझे 20 अगस्त 2013 को इजाजत मिली. इस घटना की जांच में कई गवाहों की हत्या की गयी थी.  आसाराम के समर्थकों द्र्वारा पुलिस वालों को भी धमकी दी गयी।

बेहद गंभीर और गौर करने की बात है कि तकरीबन दो हजार से ज्यादा  धमकी भरे खत उक्त अफसर को भेजे गए। जिनमें सिर्फ उनको मारने की धमकी ही नहीं थी बल्कि पूरे परिवार को धमकाया गया था। खत में लिखा था कि अगर आसाराम को कुछ हुआ, तो उन्हे और उनके परिवार को जान से मार देंगे। अफसर के अनुसार मेरा फोन हमेशा बजता रहता था। मैंने अजनबियों का फोन उठाना बंद कर दिया था। इतना ही नही जहां उस वक्त मैंने अपनी बच्ची को स्कूल भेजना बंद कर दिया। वहीं इस दौरान पत्नी का घर से बाहर निकलना मुश्किल था।

एक घटना का जिक्र करते हुए लांबा बताते हैं कि एक बार किसी गवाह की हत्या के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। आरोपी ने  बताया कि उनकी लिस्ट में चंचल मिश्रा के बाद डीसीपी और इस केस की जांच कर रहे अधिकारी का नाम शामिल हैं। इस पूरे मामले में लांबा आसाराम की गिरफ्तारी के घटनाक्रम को याद करते हुए कहते हैं, सबसे मुश्किल आसाराम को गिरफ्तार करना था। जब हम कोर्ट समन लेकर उनके आश्रम पहुंचे थे, तो हमारी टीम में 11 लोग थे। हमें आश्रम को समन देने में 10 घंटे से ज्यादा का समय लग गया था। आठ हजार लोग हमारा रास्ता रोके खड़े थे। हंगामा कर रहे थे।

आसाराम की गिरफ्तारी का घटनाक्रम सुनाते हुए लांबा ने बताया, वह  बच्चों से सिंधी में बात करते हुए कह रहे थे।  सुबह तक 25000 समर्थक आश्रम में जमा करो, देखता हूं, यह मुझे कैसे लेकर जाते हैं। हमारी टीम में सिंधी समझने वाला एक सदस्य था। उसने ये बातें सुनी और हमें बताया।  इसके बाद उनकी पूरी योजना धरी रह गयी. 30 अगस्त 2013 को आसाराम को गिरफ्तार कर लिया गया।

 

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