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भारत का 100वां सेटेलाइट लॉन्च कर ISRO ने रचा इतिहास

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श्रीहरिकोटा। आज भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-40 सी के जरिये पृथ्वी अवलोकन उपग्रह कार्टोसैट-2 सहित 31 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया। इसरो ने बताया कि पीएसएलवी-सी40 ने कार्टोसैट-2 श्रृंखला उपग्रह को सूर्य स्थैतिक कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है। पीएसएलवी-सी40 रॉकेट का पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सुबह 9:28 पर अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण किया गया जो बादलों से भरे आसमान को चीरता हुआ अपने गंतव्य की ओर बढ़ गया।
इस रॉकेट के जरिए कार्टोसैट-2 के साथ 28 अंतर्राष्ट्रीय सह-यात्री उपग्रहों में से 19 अमेरिका, पांच दक्षिण कोरिया और एक-एक कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन और फिनलैंड के हैं। इसके साथ ही दो अन्य भारतीय उपग्रह-पांच किलो वजनी नैनो अंतरिक्ष यान और लगभग 100 किलो वजनी सूक्ष्म उपग्रह शामिल हैं। सभी 31 उपग्रहों का वजह 1323 किलोग्राम है।
31 अगस्त, 2017 को इसी तरह के राकेट से नौवहन उपग्रह आई.आर.एन.एस.एस.1-एच लांच किया गया था, लेकिन हीट शील्ड न खुलने की वजह से सैटेलाइट राकेट के चौथे चरण में असफल हो गया था। पीएसएलवी-सी40 वर्ष 2018 की पहली अंतरिक्ष सफल परियोजना है। सैटेलाइट केन्द्र निदेशक एम. अन्नादुरई ने बताया कि माइक्रो उपग्रह अंतरिक्ष में भारत का 100वां उपग्रह है। अंतरिक्ष वैज्ञानिक और इंजीनियरों ने गुरुवार को राकेट के निचले, मध्य और ऊपरी हिस्से की तेल की टंकी में द्रव्य और ठोस ईंधन गुरुवार को ही भरना शुरू कर दिया था। बता दें कि 15 फरवरी 2017 को एक साथ 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजकर ISRO ने ऐसा इतिहास लिखा था, जिसे अब तक कोई दोहरा नहीं सका है।

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि भारत द्वारा 3 कार्टोसैट-2 श्रृंखला के अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रहों को अंतरिक्ष भेजे जाने की योजना का मकसद  सैन्य  इस्तेमाल है और सभी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियां दोहरे इस्तेमाल की क्षमता से युक्त हैं। भारतीय उपग्रहों में 100 किलोग्राम का एक माइक्रो सैटेलाइट और 5 किलोग्राम का एक नैनो सैटेलाइट भी शामिल है। बाकी 28 सैटेलाइट कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमरीका के हैं। सभी उपग्रहों का कुल वजन 1323 किलोग्राम है। पाक ने कहा कि यह जरूरी है कि इनका इस्तेमाल सैन्य क्षमताओं के लिए न किया जाए, अगर ऐसा होता है कि इसका क्षेत्र पर गलत प्रभाव पड़ेगा।

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