Wednesday , May 8 2024
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मायावती की कवायद रंग लाई, भाजपा की गणित गड़बड़ाई

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डेस्क्। कर्नाटक में हालांकि वैसे तो चुनाव के पूर्व से ही जेडीएस को किंग मेकर के रूप में देखा जा रहा था लेकिन चुनाव के बाद आते जो परिणामों के संकेत थे उससे भाजपा काफी उत्साहित नजर आ रही थी लेकिन गठबंधन की सियासत की बेहद अनुभवी बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने कुछ ऐसा मंत्र जेडीएस और कांग्रेस के नेताओं के कानों में फूंका कि भाजपा का उत्साह न सिर्फ काफूर हो गया बल्कि उसका सरकार बनाने का ख़्वाब भी उससे दूर हो गया। वहीं किंग मेकर कही जा रही जेडीएस खुद किंग की भूमिका में आ गई। अचानक ही भाजपा की सारी गणित भी गड़बड़ा गई।

गौरतलब है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 के परिणाम में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। इन चुनावों में भाजपा को जहां 104 सीटें मिली हैं, वहीं कांग्रेस को 78 सीटों से संतोष करना पड़ा है। जेडीएस इस चुनाव में किंग बनकर उभरी है। हालांकि उसे सिर्फ 37 सीटें ही मिली हैं। एक सीट मायावती की बसपा को गई है, जबकि दो सीटें निर्दलीय ले गए हैं।  जैसाकि साफ तौर पर जाहिर था कि किसी राजनीतिक पार्टी को बहुमत न मिलने पर अकेले दम पर सरकार बनाना मुश्किल था।

वहीं जानकारों और सूत्रों की मानें तो क्योंकि हाल के कर्नाटक चुनावों के दौराना मायावती जहां जेडीएस नेताओं के बराबर संपर्क में रहीं वहीं उन्होंने उनके अनुभव को भी सराहा था। इसी के चलते जब कर्नाटक चुनावों के नतीजों में हालात ऐसे नजर आये तो मायावती ने तुरंत जेडीएस मुखिया एच डी देवगौड़ा से संपर्क कर उनसे मौजूदा हालातों के मुताबिक रणनीति पर विचार विमर्श कर उन्हें साथ आने की सलाह दी।

साथ ही पार्टी के राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ को चुनाव के परिणाम आने के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद से मिलने को कहा था।  जिसके चलते ही गुलाम नबी आजाद ने भी सोनिया गांधी को जेडीएस से हाथ मिलाने को कहा। इसके बाद मायावती ने जेडीएस के देवगौड़ा से बात की और उन्हें कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए मनाया। इसके साथ ही मायावती ने सोनिया को भी फोन करके बात कर जेडीएस के साथ के लिए मनाया।

कुल मिलाकर मायावती की मेहनत और कवायद रंग लाई और इस कवायद ने ही भाजपा की मुश्किलें भी बढ़ाईं। हालांकि अभी भी भाजपा सरकार बनाने के बढ़चढ़ कर दावे कर रही है। लेकिन अंदर ही अंदर काफी डर भी रही है कि फिलहाल ऐसा कर पाना इतना आसान नही रह गया है। क्योंकि जैसा कि उनके हालात हैं उसके मुताबिक भाजपा के सरकार बनाने में काफी पेचोखम हैं।

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