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मोदी सरकार के खिलाफ: किसानों का जबर्दस्त आक्रोश नजर आया, सड़कों पर फल और सब्जी फेंक विरोध जताया

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नई दिल्ली। अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रीय किसान महासंघ ने 130 संगठनों के साथ केंद्र सरकार के खिलाफ आज 1 जून से 10 जून तक 10 दिवसीय आंदोलन का आह्वान किया है। जिसके तहत मध्य प्रदेश समेत देश के 7 राज्यों के किसान आज से आंदोलन पर हैं। आक्रोशित किसानों ने शहरी इलाकों में दूध की आपूर्ति बंद करने के साथ ही सड़कों पर फलों और सब्जियों को फेंक कर अपना विरोध जताया है।

मिली जानकारी के मुताबिक उत्‍तर प्रदेश के आगरा में अपने वाहनों की फ्री आवाजाही कराने के लिए किसानों ने टोल पर कब्जा कर लिया है। यहां किसानों ने जमकर तोड़फोड़ की। किसान आंदोलन का जबर्दस्त असर देखने का मिल रहा है। किसान संगठनों के ऐलान के बाद जहां राज्य सरकारें अलर्ट हो गई हैं, वहीं विपक्ष इसे सियासी रंग देने में जुटा है।

वहीं किसान आंदोलन के तेवर देखते हुए जहां मध्यप्रदेश के झाबुआ में धारा 144 लगा दी गई है। किसानों से शांति बनाए रखने की अपील की गई है। मंदसौर में पूरे शहर में पुलिस की तैनाती कर दी गई है। जबकि  गुजरात के अहमदाबाद सहित कई शहरों में किसानों की माली हालत, फसल बीमा व किसान आत्महत्या के मुद्दों को लेकर आज किसान गांवों से शहरों में दूध, सब्जी व अनाज की आपूर्ति को ठप कर दिया गया है।

ज्ञात हो कि आल इंडिया किसान सभा ने किसानों से नौ अगस्त को देशव्यापी जेल भरो आंदोलन का आह्वान किया है। उत्पादन का सही दाम नहीं मिलने, फसल बीमा का लाभ नहीं मिलने और स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू नहीं करने के विरोध में किसान आज प्रदर्शन कर रहे हैं।

आल इंडिया किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धावले दो दिन की गुजरात यात्रा पर हैं। राज्य में किसानों की बदहाली के लिए राज्य की भाजपा सरकार को जिम्मेदार बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के बजाए कॉरपोरेट घरानों का अधिक ख्‍याल रखा है।

बेहद अहम और गौर करने की बात है कि देश में पहली बार आज से हरियाणा के किसान 10 दिन की छुट्टी पर जा रहे हैं। इसलिए शहरों में फल-सब्जियों और दूध की सप्लाई नहीं होगी। किसानों ने इन 10 दिनों में शहर की दुकानों, शोरूम और सुपर बाजार का रुख नहीं करने का भी अहम निर्णय लिया है। अगर शहरी लोगों को फल-दूध या सब्जी चाहिए तो उन्हें गांवों का रुख करना पड़ेगा। दाम भी किसान ही तय करेंगे। किसान यह सब केंद्र व राज्य सरकारों की नीतियों के विरोध में कर रहे हैं। राष्ट्रीय किसान महासंघ के प्रतिनिधियों ने एक से 10 जून तक शहरों में दूध व फल-सब्जियों की आपूर्ति नहीं होने देने की रणनीति बनाई है।

इसी प्रकार पंजाब में बर्नाला और संगरूर समेत पंजाब में कई जगह किसानों ने विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। पंजाब के किसानों ने भी 10 दिनों तक सब्जियों और डेयरी प्रोडक्ट्स को बाहर सप्लाई करने से इंकार कर दिया है। पंजाब के फरीदकोट में किसानों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। यहां किसान सड़कों पर सब्जियां फेंक कर विरोध जता रहे हैं। किसानों का एक हिस्सा इस विरोध में शामिल नहीं हुआ है। साथ ही कुछ किसानों ने आंदोलन के विपरित चंडीगढ़ के कुछ इलाकों में दूध सप्लाई किया।

साथ ही महाराष्ट्र में भी किसान आंदोलन का असर दिखा। यहां के बुलढाणा में हड़ताल के कारण शुक्रवार को दूध और सब्जियों की सप्लाई पर असर पड़ा है। वहीं, पुणे के खेडशिवापुर टोल प्लाजा पर किसानों ने 40 हजार लीटर दूध बहाकर विरोध जताया।

राष्ट्रीय किसान महासंघ के प्रतिनिधियों ने एक से 10 जून तक शहरों में दूध व फल-सब्जियों की आपूर्ति नहीं होने देने की रणनीति बनाई है। राष्ट्रीय किसान महासंघ के वरिष्ठ सदस्य व भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी और प्रदेश प्रवक्ता राकेश कुमार ने बताया कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं करने व कर्ज माफी नहीं होने पर किसानों को यह कदम उठाना पड़ रहा है।

उन्होंने बताया कि 62 किसान संगठनों ने इस दौरान गांवों से शहरों को खाद्य पदार्थो की सप्लाई नहीं होने देने की पूरी रणनीति बना ली है। साथ ही  साफ किया कि इस बंद में वह कोई रोड जाम नहीं करेंगे। किसान अपने घर और गांव में बैठकर शहर और सरकार को अपना दर्द समझाएंगे। आंदोलन के दौरान किसान आढ़तियों से भी पूरी तरह दूरी बनाकर रखेंगे। किसानों द्वारा एक दूसरे से उधार लेकर 10 दिन तक आर्थिक लेन-देन किया जाएगा।

गौरतलब है कि किसान आंदोलन के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को कहा है कि सरकार इस खरीफ सत्र से ही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करेगी। उन्होंने कहा कि किसानों को इसी सत्र में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलेगा।

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