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सरकार के रवैये से खफा 120 दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाया

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नई दिल्ली। देश में जारी दलित राजनीति के बीच अब हरियाणा में सौ से अधिक दलितों द्वारा उठाये गये एक कदम से सियासी गलियारों में हड़कम्प मच गया है। दरअसल पिछले दिनों हरियाणा में दलितों पर हुए हमलों के खिलाफ दलित समुदाय के लोगों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। दलितों ने एससीएसटी एक्ट में बदलाव की मांग के विरोध में धर्म परिवर्तन करने की धमकी दी थी।  जब सरकार ने जींद व आस-पास के क्षेत्र के दलितों की मांगें नहीं मानी तो उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। दलित परिवारों के करीब 120 लोगों ने दिल्ली के लदाख बौद्ध भवन में जाकर यह धर्म अपनाया।

गौरतलब है कि दलित समाज के नेता दिनेश खापड़ का कहना है कि वे पिछले करीबन 113 दिन से जींद में धरने पर बैठे थे लेकिन सरकार उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही थी। कई बार दलित समाज का शिष्टमंडल मुख्यमंत्री से मिला लेकिन हर बार आश्वासन ही दिया गया। इनका कहना है कि उनकी मांगें कोई नई नहीं है बल्कि वे हैं जिनके बारे में सरकार खुद घोषणा का चुकी है। अब सरकार घोषणा करने के बाद अपने वायदे से मुकर रही है।

ज्ञात हो कि उनकी प्रमुख मांगों में झांसा गैंग रेप की सीबीआई जांच, ईश्वर हत्याकांड के परिजनों को नौकरी, जम्मू में शहीद हुए दलित के परिवार को नौकरी, एससीएसटी एक्ट में अध्यादेश लाना प्रमुख था। जब सरकार ने उनकी इन मांगों को नही माना तो दिल्ली के लदाख बौद्ध भवन में जाकर उन्होंने बौद्ध धर्म को अपना लिया। उन सभी का कहना है कि हिन्दू समाज के ठेकेदार दलितों का शोषण करने लगे थे। ऐसे में धर्म परिवर्तन मजबूरी बन गया था। बौद्ध धर्म सिखाता है कि इंसान-इंसान में कोई भेदभाव नहीं है, सभी समान है।

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