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मंदिर तोड़े जाने की एकतरफा कारवाई पर अखाड़ा परिषद ने नाराजगी जताई

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश शासन और प्रशासन के दोहरे चरित्र को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने बेहद करारा प्रहार करते हुए कहा कि सड़क चौड़ीकरण में केवल मंदिर को तोडना उचित नहीं है, इसके रास्ते में मस्जिद, मजार और गुरूद्वारा जो भी आता है उसका उचित प्रबंध कर अन्यत्र स्थापित किया जाए।

गौरतलब है कि महंत गिरी ने कहा कि विश्व का सबसे बड़ा आध्यत्मिक मेला कुंभ 2019 के लिए शहर में सड़क मार्ग को चौड़ीकरण करने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। जिसके चलते रास्ते में पडने वाले अगर मंदिरों को तोडा जा रहा है तो दूसरे धर्म के स्थलों को छोड़ना न्यायोचित नहीं होगा। क्योंकि चौड़ीकरण के रास्ते में पूज्यस्थल मंदिर, मस्जिद, मजार या गुरूद्वारा जो भी आता है, उसे वहां से हटा कर अन्यत्र स्थापित किया जाए।

उन्होंने साफ तौर पर कहा कि केवल मंदिर के साथ तोडफ़ोड़ न्यायोचित नहीं होगा। प्रशासन को दोहरा चरित्र नहीं अपनाना चाहिए बल्कि उसे सभी धर्मस्थलों का सम्मान करना चाहिए और उनके लोगों से बातचीत कर सहूलिय का रास्ता निकाले जिससे शहर का माहौल शांत रहे।

इसके साथ ही मंहत गिरी ने कहा कि सड़क चौड़ीकरण के मार्ग में किसी भी धर्म से संबंधित उसका पूज्य स्थल आता है तो उनका ध्यान रखा जाये और प्रयास किया जाए की उन्हें अन्यत्र स्थापित किया जाए। उन्होंने कहा कि किसी एक धर्मिक स्थल को तोड़ने से उसके प्रति आस्था रखने वाले लोगों में आक्रोश उत्पन्न होगा, जो उचित नहीं है। प्रशासन को इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए।

वहीं उन्होंने बखूबी ध्यान दिलाते हुए कहा कि जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री से उस समय वहां विकास के मार्ग में पडने वाले धार्मिक स्थलों को हटवाया था। उन्होंने किसी एक को नहीं हटाया था। प्रशासन को चाहिए कि उसे भी गुजरात की तर्ज पर रास्ते में पड़ने वाले धर्मिक स्थलों को हटाये, लेकिन ऐसा कदापि न करे कि किसी एक संप्रदाय की भावना आहत हो।  ज्ञात हो कि सड़क चौड़ीकरण को लेकर प्रशासन द्वारा मंदिरों को तोडऩे के खिलाफ  हिंदूवादी संगठनों ने कड़ा विरोध कर रहे हैं और उनमें आक्रोश भरा है।

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